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ढुक्क वि [ दे. ढौकित ] उपस्थित | मिलित ।
ढेणियालग ढेणियालय विशेष |
प्रवृत्त ।
ढुक्कलुक्क न [ दे] चमड़े से मढ़ा हुआ वाद्य ढेल्ल वि [दे] दरिद्र । विशेष |
ढोअ देखो ढुक्क = ढौक ।
सक [ भ्रम् ] भ्रमण
ढो वि [ ढौकित ] भेंट किया हुआ । उपस्थित
किया हुआ ।
ढोंघरवि [] घुमक्कड़ |
ढोयण देखो ढोवण ।
ढोणिया स्त्री [ढकनिका ] उपहार ।
ढोल्ल पुं [दे] प्रिय, पति ।
ढोल्ल पुं [दे] पह | देश - विशेष । ढोवण न [ ढोकन] अर्पण करना । भेंट | ढोfor a [ ढौकित] उपस्थापित ।
तुला । ढेंकय देखो ढिक्किय ।
दुम
दुस घूमना ।
दुरुढुल्ल देखो ढुंढुल्ल = भ्रम् । ढेंक पुं [ढेङ्क] एक जल-पक्षी । ढेंका स्त्री [दे] खुशी । ढेंकुवा, ढेंकली, कूप
की स्त्री [दे] बलाका ।
ढेंकु पुं [] मत्कुण 1 for a [ ] धूपित ।
संक्षिप्त प्राकृत - हिन्दी कोष
करना,
ण पुं [ण, न ] मूर्द्धा स्थानीय व्यञ्जन वर्ण-विशेष । अ. निषेधार्थक अव्यय । उण, उणा | उणाई, उणो अ [° पुनः ] नहीं कि । संति परलोगवाइ वि [शान्तिपरलोकवादिन् ] मोक्ष और परलोक नहीं है ऐसा माननेवाला । स [तत्] वह ।
बंगाल का एक विख्यात नगर |
णअंचर देखो णत्तंचर ।
ण तथा न
स [इदम् ] यह, इस 1
ण वि [ज्ञ] जानकार, पण्डित, विचक्षण ।
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अ देखो णव - नव । 'दीअ पुं [ ° द्वीप ] णउ (अप) देखो इव ।
णइ स्त्री [नति] नमन, नम्रता । अन्त । इ अ. निश्चय-सूचक । निषेधार्थक । 'देखो ई ।
safa [नयिक ] नय-युक्त, अभिप्राय विशेष
वाला ।
इअ णी = नी का संकृ. ।
इमासय न [ दे] पानी में होनेवाला फलविशेष |
ढुक्क - णउली पुंस्त्री [ढेणिकालक] पक्षि
' कच्छ पुं. नदी के
गाम पुं
इराय न [नौरात्म्य ] आत्मा का अभाव । वाद पुं. बौद्ध तथा चार्वाक मत । णई स्त्री [ नदी] नदी । किनारे पर की झाड़ी । नदी के किनारे पर स्थित [नाथ] समुद्र | वइ पुं [पति ] 'संतार पुं. जहाज आदि से नदी पार जाना । 'सोत्त पुं. [ 'स्रोतस् ] नदी का प्रवाह ।
गाँव ।
[ग्राम ]
णाह पुं
सागर |
उअ न [नयुत ] 'नयुतांग' को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । उअंग न [नयुताङ्ग ] 'प्रयुत' को चौरासी से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । उs स्त्री [नवति] नब्बे ।
उ वि [नवत] ९० वाँ ।
उल पुं. [ नकुल ] नेवला । पाँचवाँ पाण्डव । वाद्य-विशेष |
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उली स्त्री [नकुली] एक महौषधि । सर्प - विद्या की प्रतिपक्ष विद्या ।
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