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जल-जलण
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष रिन्द्रिय जन्तु-विशेष । °य वि [ज] पानी में रुह पुन. पानी में पैदा होनेवाली वनस्पति । उत्पन्न । °वारिअ पुं[°वारिक चतुरिन्द्रिय रूव पुं [रूप] जलकान्त-नामक इन्द्र का जन्तु की एक जाति ।
। एक लोकपाल । 'लिल्लिर न. पानी में उत्पन्न
होनेवाली वस्तु-विशेष । "वायस पुंस्त्री. जलजल न. पानी। पुं. जलकान्त-नामक इन्द्र का ।
कौआ। ‘वासि वि [ 'वासिन् ] पानी में एक लोकपाल । °कंत पुं [°कान्त] मणि
रहनेवाला । पुं. तापसों की एक जाति, जो विशेष, रत्न की एक जाति । उदधिकुमार
पानी में हो निमन्न रहते हैं । °वाह पु. मेघ । नामक देव-जाति का दक्षिण दिशा का इन्द्र ।
जन्तु विशेष । विच्छुय पुं[वृश्चिक पानी जलकान्त इन्द्र का एक लोकपाल ।
का बिच्छू, चतुरिन्द्रिय जन्तु विशेष । वीरिय करप्फाल पुं [°करास्फाल] हाथ से आहत .
पुं [वीर्य] इक्ष्वाकु वंश का एक राजा । पानो । °करि पुंस्त्री [°करिन्] पानी का
क्षुद्र कीट-विशेष, चतुरिन्द्रिय जन्तु की एक हाथी, जल-जन्तु-विशेष। कलंब पुं
जाति । °सय न [°शय कमल । °साला [°कदम्ब] कदम्ब वृक्ष की एक जाति । कीडा, कोला स्त्री [°क्रीडा] पानी में की
स्त्री [°शाला] प्रपा, प्याऊ । 'सूग न
- [°शूक] शैवाल । जलकान्त-नामक इन्द्र का जाती क्रीड़ा। केलि स्त्री. जल-क्रीड़ा । °चर
एक लोकपाल । ‘सेल पुं [शैल] समुद्र के देखो यर। "चार पुं. पानी में चलना ।
भीतर का पर्वत । °हत्थि पुं [ हस्तिन् ] °चारण पुं. जिसके प्रभाव से पानी में भी भूमि की तरह चला जा सके ऐसी अलौकिक
जलहस्ती, पानी का एक जन्तु । °हर पुं शक्ति रखनेवाला मुनि । °चारि [°चारिन्]
[°धर] अभ्र । एक विद्याधर सुभट । हर पानी में रहनेवाला जन्तु । °चारिया स्त्री
पुं [°भर] जल समूह । हर न [°गृह] [°चारिका] क्षुद्र जन्तु-विशेष, चतुरिन्द्रिय
सागर । हरण न. पानी की क्यारी । छन्द
विशेष । °हि पुं [°धि] समुद्र । चार की जीव की एक जाति । °जंत न [यन्त्र]
संख्या । °सय पुंन[°ाशय] सरोवर, तलाव । पानी का यन्त्र, पानी का फवारा । °णाह पुं
जलइय पुं [जलकित] जलकान्त-नामक इन्द्र [°नाथ] समुद्र । °णिहि पुं[°निधि]सागर ।
का एक लोकपाल । °णीली स्त्री [°नीली] शैवाल । तुसार पुं [°तुषार] पानी का बिन्दु । थंभिणी स्त्री
। जलंजलि पुं [जलाञ्जलि] तर्पण, दोनों हाथों [°स्तम्भिनी] विद्या-विशेष । °द पुं. मेघ ।
में लिया हुआ जल । °द्दा स्त्री [TH] पानी से भींजाया हुआ जलग पुं [ज्वलक] अग्नि । पंखा । °प्पभ पुं [प्रभ] उदधिकुमार नामक जलजलिअ वि [जलजलित] 'जल-जल' शब्द देव-जाति का उत्तर दिशा का इन्द्र । जल- से युक्त । कान्त नामक इन्द्र का एक लोकपाल । °य जलजलिंत वि[जाज्वल्यमान] देदीप्यमान । न [ज] कमल । °य देखो °द । °यर पुंस्त्री जलण पुं [ज्वलन] वह्नि । अग्निकुमार-नामक [°चर] जल में रहनेवाला ग्राहादि जन्तु ।। देव-जाति । वि. जलता हुआ। चमकता । रंकु पुं [रङ्क] ढेक-पक्षी । "रक्खस पुं जलानेवाला । न. अग्नि सुलगाना । जलाना, [राक्षस] राक्षस की जाति । °रमण न.. भस्म करना । जडि पुं [ जटिन् ] विद्याजल-केलि । °रय पुं. जलप्रभ-नामक इन्द्र का धर वंश का एक राजा । °मित्त पुं[मित्र एक लोकपाल । °राशि पुं [ राशि] समुद्र ।। एक प्राचीन कवि ।
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