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खिप्पं-खु संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
२७३ शीघ्र गतिवाला । पुं. अमितगति इन्द्र का एक , वनस्पति-विशेष, खीरविदारी। जल पुं. लोकपाल ।
क्षीर-समुद्र । °जलनिहि पु [जलनिधि] खिप्पं अ [ क्षिप्रम् ] तुरन्त ।
वही पूर्वोक्त अर्थ । 'दुम, °म पु [°द्रुम] खिप्पामेव अ [क्षिप्रमेव] शीघ्र ही, तुरन्त । दूधवाला पेड़, जिसमें दूध निकलता है ऐसे खिमा स्त्री [क्ष्मा] पृथिवी ।
वृक्ष की जाति । °धाई स्त्री [धात्री] दूध खिर अक [क्षर] गिरना, गिर पड़ना । | पिलानेवाली दाई । पूर पु. उबलता हुआ टपकना।
दूध । °प्पभ पु[प्रभ] क्षीरवर द्वीप का खिल न [खिल] ऊसर जमीन ।
एक अधिष्ठाता देव । °मेह पु[ मेघ] दूधखिलीकरण ब [खिलीकरण] खाली करना । समान स्वादवाले पानी की वर्षा । °वई स्त्री खिल्ल सक [ कीलय् ] रोकना । डालना। [°वती] प्रभूत दूध देनेवाली । °वर पुं. द्वीपखिल्ल अक [खेल ] क्रीड़ा करना, तमाशा
विशेष । 'वारि न. क्षीर समुद्र का जल । करना।
हर पुं [°गृह, धर] क्षीर-सागर । °सव खिल्ल पु [दे] फोड़ा, फुनसी।
[°श्रव] लब्धि-विशेष, जिसके प्रभाव से खिल्लण न खेलन] खिलौना ।
वचन दूध की तरह मधुर मालूम हो । ऐसी खिल्लहड ) [दे. खिल्लहड] कन्द-विशेष ।
लब्धिवाला जीव । खिल्लहल )
खीरइय वि [क्षीरकित] सञ्जात-क्षीर । खिल्लुहडा स्त्री [दे] कन्द-विशेष ।
खीरिणी स्त्री [क्षीरिणी] दूधवाली। वृक्षखिव सक [क्षिप] फेंकना । प्रेरना । डालना ।
विशेष । इधर-उधर चलाना।
खीरी स्त्री [क्षरेयी] खीर । खिव्व देखो खिव।
खीरोअ पु [क्षीरोद] क्षीरसागर । खिस अक [दे] सरकना, खिसकना । खीरोआ स्त्री [क्षीरोदा] इस नाम की एक खीण देखो खिण्ण % खिन्न ।
नदी। खीण वि [क्षिण] नष्ट, विच्छिन्न । कृश । दुह, खीरोद देखो खीरोअ । वि [ दुःख] दुःखरहित । °मोह वि. जिसका खीरोदा देखो खीरोआ। मोह नष्ट हो गया हो वह। न. बारहवाँ
खील पुं [कील, °क] खीला, खूट । गुण-स्थानक । राग वि. वीतराग। पुं.
खोलग °मग्ग पु [°मार्ग] मार्ग-विशेष, तीर्थङ्कर देव ।
| खीलव , जहाँ धूली ज्यादा रहने से खूटे के खीयमाण वि [क्षीयमाण] जिसका क्षय होता | निशान बनाये गये हों। जाता हो वह ।
खीलावण न [क्रीडन] खेल कराना, क्रीड़ा खीर न [क्षीर] बेला, दो दिन का उपवास। कराना। °धाई स्त्री [ धात्री] खेलकूद
डिडिर पुं.देव-विशेष । डिडिरा स्त्री.देवी- करानेवाली दाई । विशेष । °वर पुं. समुद्र-विशेष । द्वीप-विशेष । | | खीलिया देखो कीलिआ। खीर न [क्षीर] दूध । पानी। पुं. क्षीरवर खीलिया स्त्री कीलिका] छोटी खूटी। समुद्र का अधिष्ठायक देव । क्षीर-समुद्र । | खीव पु [क्षीब] मदोन्मत्त, मस्त । कयंब पुं [कदम्ब] इस नाम का एक खु अ [खलु] इन अर्थों का सूचक अव्ययब्राह्मण-उपाध्याय। काओली-स्त्री[°काकोली] | निश्चय । वितर्क, विचार । सन्देह । सम्भा
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