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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
खारि - खिप्प
माण्डव्यगोत्र के शाखाभूत एक गोत्र । खिखिणी स्त्री [ofङ्कणी] ऊपर देखो । खारि स्त्री [खारी] एक प्रकार की नाप, सेर खिखिणी स्त्री [दे] शृगाली | की तौल | खिंग पुं. व्यभिचारी । खारिभरी स्त्री [खारिम्भरो] खारी-परिमित वस्तु जिसमें अट सके ऐसा पात्र भर दूध देनेवाली ।
खिंस सक [ खिस् ] निन्दा करना । खिक्खिंड पुं [दे] गिरगिट, सरट । खिक्खियंत वि [खिखीयमान] 'खि-खि'
खारिक्क न [दे] फल- विशेष, छुहारा ।
आवाज करता ।
खारयवि [क्षारित ] स्रावित । पानी में घिसा | खिक्खिरी स्त्री [दे] डोम वगैरह का स्पर्श
रोकने की लकड़ी ।
हुआ ।
खारी देखो खारि ।
खारुगणिय पुं [क्षारुगणिक] म्लेच्छ देशविशेष | उसमें रहनेवाली म्लेच्छ जाति । खारोदा स्त्री [क्षारोदा] नदी - विशेष । खाल सक [ क्षालय् ] धोना । खाल स्त्रीन [दे] मोरी । खावण न [ ख्यापन] प्रतिपादन | खावणा स्त्री [ ख्यापना] प्रसिद्धि ।
खावियंत वि [ खाद्यमान ] जिसको खिलाया जाता हो वह । खावियगवि [खादितक ] जिसको खिलाया गया हो वह ।
खावेंत वि [ ख्यापयत् ] प्रख्याति करता हुआ ।
खास अक [ कास् ] खाँसना । खास [कास] खाँसी की बीमारी । खासिअ [खासिक ] म्लेच्छ देश विशेष । उसमें रहनेवाली म्लेच्छ जाति । खि अक [क्षि] क्षीण होना । खिs स्त्री [क्षिति] पृथिवी । गोयर पुं [' गोचर ] मनुष्य । पटु न [ 'प्रतिष्ठ नगर - विशेष । पट्टिय न [ प्रतिष्ठित ] इस नाम का एक नगर । राजगृह नाम का नगर । सार पुं. इस नाम का एक दुर्ग । खििख अक [ सिङ्खय् ] खिखि आवाज करना । खिखिणिया स्त्री [ किङ्किणिका ] क्षुद्र
]
घण्टिका ।
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खिच पुंन [] खीचड़ी, कृसरा ।
खिज्ज अक [खिद् ] अफसोस करना । उद्विग्न
होना, थक जाता ।
खिज्जणिया स्त्री [खेदनिका] खेद क्रिया, अफसोस ।
खिज्जिअ न [ दे] उपालम्भ |
खिज्जिअ वि [ खिन्न ] खेद प्राप्त । न खेद । प्रणय-जन्य रोष |
खिज्जिअय न [ खेदितक ] छन्द - विशेष । खिड्ड न [ खेल ] क्रीड़ा, मजाक । खिण्ण वि [ खिन्न ] खेदप्राप्त । श्रान्त । खिoण देखो खीण
|
वित्त वि[क्षिप्त ] फेंका हुआ । प्रेरित । इत्त, ° चित्त व [चित्त ] भ्रान्त-चित्त, पागल | मण वि [ मनस् ] चित्त-भ्रमवाला ।
खित्त देखो खेत्त । देवया स्त्री [' देवता] क्षेत्र का अधिष्ठायक देव । वाल पुं [पाल ] देव - विशेष, क्षेत्र-रक्षक देव ।
खित्तज पुं [ क्षेत्रज ] गोद लिया हुआ लड़का | खित्तय न [ क्षिप्तक ] छन्द- विशेष ।
खित्तय न [ दे] अनर्थ नुकसान | वि.
प्रज्ज्वलित ।
खित्तअ वि [क्षैत्रिक ] क्षेत्र सम्बन्धी । पुं. व्याधि-विशेष |
खिप्प अक [ कृप् ] समर्थ होना । दुर्बल होना ।
खप्प वि [ क्षिप्र ] शीघ्र । 'गइ वि [' गति ]
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