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खंच-खंदय
खंच सक [ कृष् ] खींचना । वश में करना । खंज अक [ खच् ] लंगड़ा होना । खंज
[ख] पंगु, लूला । न गाड़ी में लोहे के डंडे के पास बाँधा जाता सण आदि का
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
गोल कपड़ा ।
खंजण
[खञ्जन] राहु का कृष्ण पुद्गलविशेष । खञ्जरीट । वृक्ष - विशेष |
खंजण पुं [दे] कीचड़ । पहिए के भीतर का काला कीच ।
खंजरपुं [दे] सूखा हुआ पेड़ । खंजा स्त्री. छन्द - विशेष |
काजल । गाड़ी के
खंड सक [ खण्डय् ] तोड़ना, टुकड़ा करना, विच्छेद करना ।
खंड पुं [ खण्ड ] एक नरक-स्थान । 'कव्व न ['काव्य] छोटा काव्यग्रन्थ |
खंड (अप) देखो खग्ग ।
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खंड पुंन [खण्ड] टुकड़ा, अंश । चीनी । पृथ्वी का एक हिस्सा । 'घडग [ घटक ] भिक्षुक का जल - पात्र । ● पाया स्त्री [प्रपाता] वैताढ्य पर्वत की एक गुफा । भेय [भेद] विच्छेद - विशेष पदार्थ का एक तरह का पृथक्करण, पटके हुए घड़े की तरह पृथग्भाव । मल्लय पुंन [ मल्लक] भिक्षापात्र । सो अ [°शस् ] टुकड़ा टुकड़ा । The देखो 'भेय |
खंड न [] मस्तक । दारू का बरतन । खंडई स्त्री [दे] कुलटा ।
खंडग पुंन [ खण्डक] चौथा हिस्सा । खंडग न. शिखर - विशेष |
खंडण न [ खण्डन] विच्छेद, भञ्जन, नाश । कण्डन, धान्य वगैरह का छिलका अलग करना । वि. नाशक ।
खंडपट्टे ' [ खण्डपट्ट] जूआरी । धूर्त्त । अन्याय से व्यवहार करनेवाला ।
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खंडव न [ खाण्डव] इन्द्र का वन - विशेष | खंड स्त्री. [खण्ड ] शक्कर ।
खंडा स्त्री. इस नाम की एक विद्याधर - कन्या । खंडाखंडि अ [ खण्डशस् ] टुकड़ा टुकड़ा । 'डोकय वि [कृत ] टुकड़ा टुकड़ा किया हुआ। खंडामणिकंचण न [ खण्डामणिकाञ्चन] इस नाम का एक विद्याधर नगर ।
खंडावत्तन [ खण्डावर्त्त ] इस नाम का एक विद्याधरनगर ।
खंडाहंड वि [ खण्डखण्ड ] टुकड़े-टुकड़ा किया
हुआ ।
खंडि
खंड
खंड
खंड
' [ खण्डिक] विद्यार्थी ।
[] भाट । वि. अनिवार्य ।
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स्त्री [खण्डिका] खण्ड, टुकड़ा ।
स्त्री [] बीस मन की नाप ।
खंडी स्त्री [दे] छोटा गुप्त द्वार । किले का
छिद्र |
खंडु (अप) देखो खग्ग | खंडुअ न [दें] बाजूबन्द । खंडुय देखो खंडग । खंत पुं [दे] पिता ।
खंत वि [क्षान्त ] क्षमा-शील | तव्व वि [ क्षन्तव्य ] क्षमा-योग्य ।
खंदग खंडरक्ख पुं [ खण्डरक्ष ] कोतवाल । चुङ्गी खंदय वसूल करनेवाला |
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खंति स्त्री [क्षान्ति [ क्षमा, क्रोध का अभाव | खंतिया स्त्री [दे] माता |
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खंती
खंद [ स्कन्द ] कार्त्तिकेय । राम का स्कन्द नाम का एक सुभट । कुमार पु. एक जैन हि [ग्रह] स्कन्दकृत उपद्रव | ज्वर - विशेष । मह पुं. स्कन्द का उत्सव | सरी स्त्री [श्री] एक चोर सेनापति की भार्या का नाम ।
पुं [ स्कन्दक ] ऊपर देखो । एक जैन मुनि । एक परिव्राजक, जिसने भगवान् महावीर के पास पीछे से जैन दीक्षा
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