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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
कमलंग-कम्म की माता का नाम । °सुंदरी स्त्री [°सुन्दरी] [किल्विष] खराब काम करनेवाला । इस नाम की एक रानी। °सेणा स्त्री क्खंध पुं [°स्कन्ध]कर्म-पुद्गलों का पिण्ड । [°सेना] एक राज-पुत्री। अर, अगर पुं . गर देखो कर। °गार पु [°कार] [°कर] कमलों का समूह । सरोवर, ह्रद कारीगर, शिल्पी । देखो कर। °जोग पुं वगैरह जलाशय । पोड, मेल पुं: ["योग] शास्त्रोक्त अनुष्ठान । 'ट्ठाण न [°पीड] भरत चक्रवर्ती का अश्व-रत्न । [°स्थान] कारखाना । टिइ स्त्री[°स्थिति] सण पुं[°ासन] ब्रह्मा ।
कर्म-पुद्गलों का अवस्थान-समय । वि. संसारी कमलंग न [कमलाङ्ग] संख्या-विशेष, चौरासी जीव । °णिसेग पु [°निषेक] कर्म-पुद्गलों लाख महापद की संख्या ।
की रचना-विशेष । °धारय पु [°धारय] कमला स्त्री [दे] हरिणी ।
व्याकरण-प्रसिद्ध एक समास । °परिसाडणा कमला स्त्री. लक्ष्मी । रावण की एक पत्नी।। स्त्री [°परिशाटना] कर्म-पुद्गलों का जीवकाल नामक पिशाचेन्द्र की एक अग्र-महिषी, प्रदेशों से पृथक्करण । 'पुरिस पु ["पुरुष] इन्द्राणी-विशेष । 'ज्ञाताधर्मकथा' सत्र का कर्म-प्रधान पुरुष, कारीगर, शिल्पी । महारम्भ एक अध्ययन । छन्द-विशेष । °अर पुं [कर] | करनेवाले वासुदेव वगैरह राजा लोग । धनाढ्य ।
प्पवाय न [प्रवाद] जैन ग्रन्थांश-विशेष, कमलिणी स्त्री [कमलिनी] पद्मिनी, कमल | आठवाँ पूर्व । "बंध पु[°बन्ध] कर्म-पुद्गलों का गाछ।
का आत्मा में लगना, कर्मों से आत्मा का कमलुब्भव पुं [कमलोद्भव] ब्रह्मा । बन्धन । भूभग वि [ भूमिक] कर्म भूमि में कमव । अक [स्वप्] सो जाना। उत्पन्न । भूमि स्त्री. कर्म-प्रधान भूमि, भरत
क्षेत्र वगैरह। भूमिग देखो भूमग । कमसो अ [क्रमशः] क्रम से. एक-एक करके । °भूमिय वि [भूमिज] कर्म-भूमि में उत्पन्न । कमिअ वि [दे] पास आया हुआ ।
°मास पुं. श्रावण मास। °मासग पु[°माषक] कमेलग, पुंस्त्री [क्रमेलक ऊँट ।
मास-विशेष, पांच गुञ्जा, पाँच रत्ती । °य कमेलय
वि [°ज] कर्म से उत्पन्न होनेवाला। कर्मकम्म सक [कृ] क्षौर-कर्म करना ।
पुद्गलों का बना हुआ कार्मण-शरीर । कम्म सक [भुज] भोजन करना।
'या स्त्री [°जा] अभ्यास से उत्पन्न होनेवाली कम्म देखो कम % कम् ।
बुद्धि, अनुभव । °लेस्सा स्त्री ["लेश्या] कर्म कम्म पुंन [कर्मन्] जीव द्वारा ग्रहण किया | द्वारा होनेवाला जीव का परिणाम । °वग्गणा जाता अत्यन्त सूक्ष्म पुद्गल । काम, क्रिया.. स्त्री ["वर्गणा] कर्मरूप में परिणत होनेवाला करनी, व्यापार । जो किया जाय वह। पुद्गल-समूह । °वाइ वि [°वादिन] भाग्य व्याकरण-प्रसिद्ध कारक-विशेष । वह स्थान, को ही सब कुछ माननेवाला । °विवाग पुं जहाँ पर चूना वगैरह पकाया जाता है। .. [°विपाक] कर्म-परिणाम, कर्म-फल । कर्मभाग्य। कार्मण-शरीर। कार्मण-शरीर नामकर्म, विपाक का प्रतिपादक ग्रन्थ । °संवच्छर पुं कर्मविशेष । °कर वि. चाकर । देखो °गार। [°संवत्सर] लौकिक वर्ष । 'साला स्त्री °करण न. कर्म-विषयक बन्धन, जीव-पराक्रम- [°शाला] कारखाना। कुम्भकार का घटादि विशेष । °कार वि. नौकर । किब्बिस वि बनाने का स्थान। सिद्ध पुं.कारीगर, शिल्पी ।
कमवस
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