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उवलुअ-उवसंधारिय
उवलुअ वि [ दे] लज्जा-युक्त । उवलेव पुं [ उपलेप ] लेपना । कर्मबन्ध | संश्लेष | आश्लेष |
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
उवलोभ सक [ उप + लोभय् ] लालच देना । उवलोहिया वि [ उपलोभित] जिसको लालच दी गई हो वह ।
उवल्लि सक [ उप + ली] रहना । आश्रय
उववइ पुं [ उपपति] जार ।
उववज्ज अक [ उप + पद्] उत्पन्न होना । सङ्गत होना ।
उववज्जण न [ उपवर्जन ] त्याग |
उववज्झ वि [उपवाह्य ] राजा आदि का वल्लभ - प्रधान सेनापति आदि ।
उवज्झ वि [ औपवाह्य ] प्रधान आदि का, प्रधान आदि को बैठने योग्य ।
करना ।
उवल्लीण वि [ उपलीन ] स्थित । प्रच्छन्न- उवविट्ट वि [उपविष्ट ] बैठा हुआ ।
स्थित |
उवट्ट अक [ उप + वृत् ] च्युत होना, मरना, एक गति से दूसरी गति में जाना । उववण न [ उपवन] बगीचा |
उववण्ण वि [ उपपन्न ] उत्पन्न । सङ्गत, युक्त प्रेरित । न उत्पत्ति ।
उववत्ति स्त्री [ उपपत्ति ] उत्पत्ति, जन्म | युक्ति, न्याय । विषय | सम्भव । उववत्तु वि [ उपपत्तृ] उत्पन्न होनेवाला । उववयण न [ उपपतन] देखो उववाय = उप
पात ।
उववसण न [ उपवसन] उपवास । उववाइय वि [ औपपादिक, औपपातिक ] उत्पन्न होनेवाला | देवरूप या नारक रूप से उत्पन्न होनेवाला ।
उववाय सक [ उप + पादय् ] सम्पादन करना, सिद्ध करना ।
उववाय पुं [ उप + वादय् ] वाद्य बजाना । उववाय पुं [उपपात] देव या नारक जीव की
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उत्पत्ति | सेवा, आदर | विनय । आज्ञा । प्रादुर्भाव । उपसम्पादन, सम्प्राप्ति । कप्प पुं [कल्प ] साध्वाचार- विशेष पार्श्वस्थों के साथ रहकर संविग्न-विहार की सम्प्राप्ति । 'य वि [ज] देव या नारक गति में उत्पन्न जीव |
उववास पुंन [ उपवास] अनाहार । उववि देखो उववीअ ।
उवविणिग्गय वि [ उपविनिर्गत ] सतत निर्गत । उवविस अक [ उप + विश्] बैठना । उववीअ न [ उपवीत ] यज्ञसूत्र । वि. सहित । उववीड अ [ उपपीड] उपमर्दन । उवहसक [ उप + बृंह ] पुष्ट करना | वृद्धि करना । प्रशंसा करना ।
उववूणिय वि [ उपबृंहणीय] पुष्टि - कर्त्ता । स्त्री. पट्ट - विशेष, राजा वगैरह के भोजनसमय में उपभोग में आनेवाला पट्टा । उad वि [ उपेत ] युक्त |
उवसंकम सक [ उपसं + क्रम्] समीप आना । उवसंखड सक [ उपसं + कृ] राँधना । उवसंखा स्त्री [ उपसंख्या] यथावस्थित पदार्थज्ञान |
उवसंगह सक [ उप + ग्रह] उपकार करना । उवसंघर सक [ उपसं + हृ] उपसंहार करना । उवसंघिय वि [ उपसंहृत] जिसका उपसंहार किया गया हो वह, समापित । उवसंचि सक [उप + चि] सञ्चय करना । उवसंठिय वि [ उपसंस्थित] समीप में स्थित । उपस्थित |
उवसंत वि [ उपशान्त ] क्रोधादि विकाररहित । नष्ट, अपगत । पुं. ऐरवत क्षेत्र के स्वनामधन्य एक तीर्थङ्कर-देव । मोह पुं. ग्यारहवाँ गुण-स्थानक । उवसंति स्त्री [उपशान्ति] उपशम । उवसंधारिय वि [ उपसंधारित ] सङ्कल्पित ।
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