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१६४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
उभिद-उम्मत्थ उब्भिद सक [उद् +भिद्] ऊँचा करना, खड़ा उमच्छ सक [अभ्या + गम्] सामने आना। करना । विकसित करना । अङ्कुरित करना। उमा स्त्री. गौरी, पार्वती । द्वितीय वासुदेव की खोलना।
माता। देव-गणिका-विशेष । स्त्री-विशेष । उब्भिग देखो उब्भिय = उद्भिद् ।
°साइ [°स्वाति] स्वनामधन्य एक प्राचीन उब्भिडण न. [उद्भेदन] लग कर अलग जैनाचार्य और विख्यात ग्रन्थकार। होना, आघात कर पीछे हटना ।
उमाण न [दे] प्रवेश । उन्भिण्ण वि [उद्धिन्न] अङ्करित । खोला उमार देखो कुमार । हुआ। न. जैन साधुओं के लिए भिक्षा का उमीस वि [उन्मिश्र] मिश्रित । एक दोष, मिट्टी वगैरह से लिप्त पात्र को उमय सक [उद्+मुच्] छोड़ना । खोलकर उसमें से दी जाती भिक्षा । वि उम्मइअ वि [दे] मूर्ख । उन्मत्त । ऊँचा हुआ, खड़ा हुआ।
उम्मऊह वि [उन्मयूख] प्रभाशाली । उब्भिय वि [उद्भिद्] पृथ्वी को फाड़कर उम्मंड पुं [दे] हठ । उगनेवाली वनस्पति ।
उम्मंथिय वि [दे] जला हुआ। उब्भिय न [उद्भिद्] लवण-विशेष । खंजरीट, उम्मग्ग वि [उन्मग्न] पानी के ऊपर आया शलभ आदि प्राणी।
हुआ, तीणं । न. उन्मज्जन, तैरना । °जला उब्भीकय वि [ऊर्वीकृत ऊँचा किया हुआ ।
स्त्री. नदी-विशेष । उन्भुअ अक [उद्+भू] उत्पन्न होना। | उम्मग्ग पुं [उन्मार्ग] कुपथ, उलटा रास्ता । उब्भुआण वि [दे] उबलता हुआ।
छिद्र । अकार्य करना । उब्भुग्ग वि [दे] चल, अस्थिर ।
उम्मच्छ न [दे] क्रोध । वि. असम्बद्ध । प्रकाउब्भुत्त सक [ उत् + क्षिप् ] ऊँचा फेंकना ।
रान्तर से कथित । उब्भुत्तिअ वि [दे] उद्दीपित ।
उम्मच्छर वि [उन्मत्सर] ईर्ष्यालु । उद्भट ।
उम्मच्छविअ वि [दे] उद्भट । उन्भूअ वि [उद्भूत] उत्पन्न । आगन्तुक
उम्मच्छिअ वि [दे] रुषित । आकुल । कारण । उब्भूइआ स्त्री [औद्भूतिकी] श्रीकृष्ण वासु
उम्मज्ज न[उन्मज्जन] तरण । °णिमज्जिया देव की एक भेरो जो किसी आगन्तुक प्रयो
स्त्री ["निमज्जिका] पानी में ऊँचा-नीचा जन के उपस्थित होने पर बजाई जाती थी।
होना। उन्भेअ ' [उद्भेद] उद्गम ।
उम्मज्जग वि [उन्मज्जक] उन्मज्जन करनेउन्भेइम वि [उभेदिम] स्वयं उत्पन्न होने- वाला, गोता लगानेवाला । उन्मज्जन से ही वाला ।
स्नान करनेवाले तापसों की एक जाति । उभ पुं. दोनों।
। उम्मड्डा स्त्री [दे] जबरदस्ती । निषेध । उभओ अ [उभयतस्] द्विधा, दोनों तरह से। उम्मण वि [उन्मनस्] उत्कण्ठित-उत्सुक । उभज्जायण देखो ओमज्जायण । । उम्मत्त पुं [दे] धतूरा । एरण्ड, वृक्ष-विशेष । उभय वि. दोनों । °त्थ अ [°त्र] दोनों जगह। उम्मत्त वि [उन्मत्त] उद्धत, उन्माद-युक्त ।
लोग पुं [°लोक] यह और पर जन्म । हा पागल, भूताविष्ट । °जला स्त्री. नदी-विशेष । __ अ ["था] दोनों तरफ से, द्विधा ।
उम्मत्थ सक [अभ्या+गम्] सामने आना । उमच्छ सक [ वञ्च् ] ठगना। । उम्मत्थ वि [दे] अधो-मुख, विपरीत ।
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