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उक्कंती
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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उक्कंठ-उरिसण उक्कंठ अक [उत् + कण्ठ्] उत्कण्ठा करना, | उत्सुक होना।
उक्कड्ढग पुं [अपकर्षक] चोर की एक-जातिउक्कंठुलय वि [उत्कण्ठित] उत्सुक । जो घर से धन आदि ले जाते हैं। जो चोरों उक्कंड वि [उत्कण्डित] खूब छटा हुआ। को बुलाकर चोरी कराते हैं। चोर के उक्कंडय सक [उत्कण्टय] पुलकित करना। सहायक। उक्कंडय वि [उत्कण्टक] रोमाञ्चित । उक्काड्ढय वि [उत्कर्षित] उत्पाटित, उठाया उक्कंडा स्त्री [दे] रिश्वत ।
हुआ । एक स्थान से उठाकर अन्यत्र स्थापित । उक्कंडिअ वि [दे] आरोपित । खण्डित ।
उक्कण्ण वि [उत्कर्ण] सुनने के लिए उत्सुक । उक्त वि [उत्क्रान्त] ऊँचा गया हुआ। उक्कत्त सक [उत् + कृत्] काटना, कतरना । उक्कंति) स्त्री [दे] देखो उक्कंदि । उक्त्त वि [उत्कृत्त] कटा हुआ, छिन्न ।
उक्कत्थण न [उत्कथन] उखाड़ना । उक्कंद वि [दे] विप्रलब्ध, ठगा हुआ। | उक्कप्प पुं [उत्कल्प] शास्त्र-निषिद्ध आचरण । उक्कंदल वि [उत्कन्दल] अंकुरित । उक्कनाह पुं दे] उत्तम अश्व की एक जाति । उक्कंदि) स्त्री [दे] कूपतुला ।
उक्कम सक [उत् + क्रम् ] ऊँचा जाना। उक्कंदी।
उलटे क्रम से रखना। उक्कंप अक [उत् +कम्प्] काँपना, हिलना।
उक्कम पुं [उत्क्रम] उलटा क्रम, विपरीत क्रम । चञ्चल होना।
उक्कमण न [उत्क्रमण] ऊर्ध्वगमन । बाहर उक्कंपिय वि [दे] धवलित ।
जाना । उक्कंबण न [दे. अवकम्बन] काठ पर काठ |
उक्कमित वि [उपक्रान्त] प्रारब्ध । क्षीण । के हाते से घर की छत बाँधना, घर का
उक्कर सक [उत् + कृ] खोदना । संस्कार-विशेष ।
उक्कर पुं [उत्कर] समूह, संघात । कर-रहित, उक्कंबिय वि [दे. अवकम्बित] काठ से बाँधा
राज-देय शुल्क से रहित । हुआ।
उक्करड देखो उक्कर = उत्कर । उक्कच्छ वि [उत्कच्छ] स्फुट, स्पष्ट ।
उक्करड पुं [दे] अशुचि-राशि। जहाँ मैला उक्कच्छा स्त्री [उत्कच्छा] छन्द-विशेष ।।
इकट्ठा किया जाता है वह स्थान । उक्कच्छिा स्त्री [औपकक्षिकी] जैन
उक्करिअ वि [दे] विस्तीर्ण, आयत । आरोसाध्वियों को पहनने का वस्त्र-विशेष ।
पित । खण्डित । उक्कज्ज वि [दे] अनवस्थित, चञ्चल ।
उक्करिद (शौ) वि [उत्कृत] ऊंचा किया उक्कट्टि स्त्री [अपकृष्टि] अपकर्ष, हानि ।।
हुआ। उक्कट्ठि स्त्री [ उत्कृष्टि ] उत्कर्ष । देखो
" उक्करिया स्त्री [उत्करिका] जैसे एरण्ड के उक्किट्ठि।
बीज से उसका छिलका अलग होता है उस उक्कड वि [उत्कट] तीव्र, प्रचण्ड । विशाल । |
तरह अलग होना, भेद-विशेष । प्रबल । °उक्कड देखो दुक्कड।
उक्करिस सक [ उत् + कृष् ] खीचना । गर्व उक्कडिय वि [दे] तोड़ा हुआ, छिन्न ।
करना, बड़ाई करना । उन्मूलन करना । उक्कडिय देखो उक्कुडुय ।
उक्करिस देखो उक्कस्स = उत्कर्ष । उक्कड्ढ सक [उत् +कर्षय्] उत्कृष्ट करना, | उक्करिसण न [उत्कर्षण] उत्कर्ष, बड़ाई,
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