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उउ-उक्कंछण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
१३९ उउ त्रि [ऋतु]ऋतु, दो मास का काल-विशेष, , उंदर , पुंस्त्री [उन्दुर] चूहा । वसन्त आदि छः प्रकार का काल । स्त्री-कुसुम, | उंदूर । रजो दर्शन, स्त्री-धर्म । °बद्ध पुं. शीत और | उंदु न [दे] मुख । रुक्क न [दे] मुंह से वृषभ उष्णकाल । °मास पुं. श्रावण मास । तीस | आदि की तरह आवाज करना । दिनवाला मास । °य वि [°ज] ऋतु में | उंदुरअ पुं [दे] लम्बा दिवस । उत्पन्न, समय पर उत्पन्न होनेवाला । संधि उंदुरु पुंस्त्री [उन्दुरु] मूषक । पुंस्त्री. ऋतु का सन्धि-काल, ऋतु का अन्त | उंब पुं [उम्ब] वृक्ष-विशेष । समय । °संवच्छर पुं [°संवत्सर] वर्ष-उंबर पुं [उदुम्बर] गूलर का पेड़ । न. गूलर विशेष । देखो उइ = उउ ।
का फल । देहली, द्वार के नीचे की लकड़ी । उउंबर देखो उंबर = उदुम्बर ।
°दत्त पुं. यक्ष-विशेष । एक सार्थवाह का पुत्र । उउवहिय न [ऋतुबद्ध] मास-कल्प, एक मास | °पंचग, पणग न [°पञ्चक] बड़, पीपल,
तक एक स्थान में साधु का निवासानुष्ठान ।। गूलर, प्लक्ष और काकोदुम्बरी इन पाँच वृक्षों उऊखल ) न [ उदूखल ] उलूखल, गूगल । के फल । पुप्फ न [°पुष्प] गूलर का फूल । उऊहल
| उंबर वि [दे] प्रचुर ।। उएट्ट पुं [दे] शिल्प-विशेष ।
उंबर उप्फ न [दे] नवीन अभ्युदय, अपूर्व उओग्गिअ वि [दे] सम्बद्ध, संयुक्त । | उन्नति । उं अ [दे] इन अर्थों का सूचक अव्यय-क्षेप, उंबरय पुं. [दे] कुष्ठ रोग का एक भेद । निन्दा । विस्मय । खेद । वितर्क । सूचन। । उंबा स्त्री [दे] बन्धन । उंघ अक [नि + द्रा] नींद लेना।
उंबी स्त्री [दे] पका हुआ गेहूँ। उंचहिआ स्त्री [दे] चक्रधारा ।
उंबेभरिया स्त्री [दे] वृक्ष-विशेष । उंछ पुन [उञ्छ] भिक्षा । पु. माधुकरी । उभ सक [दे] पूर्ति करना, पूरा करना । उंछअ ' [दे] वस्त्र छापने का काम करनेवाला
उकिट्ट देखो उक्विट। शिल्पी।
उकुरुडिया [दे] देखो उक्कुरुडिया। उंज सक [ सिच् ] छिड़कना ।
उक्त वि [उत्क] उत्सुक, उत्कण्ठित । एक उंज सक [ युज् ] प्रयोग करना, जोड़ना । ।
विद्याधर राजा का नाम । उंजायण न [उञ्जायन ] गोत्र-विशेष, जो | उक्क वि [उक्त] कथित । वशिष्ठ-गोत्र की एक शाखा है।
उक्क न [दे] पाद-पतन, पांव पर गिर कर उंड , वि [दे] गभीर, गहरा। पुं. पिण्ड ।। नमस्कार करना । उंडग ( चलते समय पाँव में पिण्ड रूप से लग | उक्कम वि [दे] प्रसृत, फैला हुआ । उंडय ) जाय उतना गहरा कीचड़, कर्दम । उक्तंचण न [दे] खुशामद । उठाना । शरीर का एक भाग, मांस-पिण्ड ।
उक्कंचणया । झाडू निकालना । रिश्वत । मूर्ख उंडग ) न [दे] स्थण्डिल, स्थान, जगह ।। पुरुष को ठगनेवाले धूर्त का, समीपस्थ विचउंडुअ॥
क्षण पुरुष के भय से थोड़ी देर के लिए उंडल न [दे] मञ्च, मचान, उच्चासन । समूह । निश्चेष्ट रहना । °दोव पुं [°दोप] ऊँचा उंडिया स्त्री [दे] मुद्रा-विशेष ।
दंडवाला प्रदीप । उंडी स्त्री [दे] पिण्ड, गोलाकार वस्तु । । उक्छण न [दे] देखो उक्तबण ।
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