________________
१३०
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष इ सक. जाना । जानना।
अधिष्ठायक देव । ज्येष्ठा नक्षत्र का अधिष्ठायक इअहरा देखो इयरहा।
देव । उन्नीसवें तीर्थंकर के एक स्वनामख्यात इइ अ [इति] इन अर्थों का सूचक अव्यय- गणधर । सप्तमी तिथि । मेघ, वर्षा । न. देवसमाप्ति । अवधि । परिमाण । निश्चय । हेतु ।। विमान-विशेष । °इ पु [°जित्] इस नाम एवम, इस तरह । देखो इति।।
का राक्षस वंश का एक राजा, एक लंकेश । इओ अ [ इतस् ] इससे, इस कारण । इस रावण के एक पुत्र का नाम । °ओव देखो तरफ । इस (लोक) में।
°गोव । °काइय पुं. [ कायिक] श्रीन्द्रिय इओअ अ [इतश्च] प्रसंगान्तर-सूचक अव्यय । जीव-विशेष । कोल पुं. दरवाजा का एक इंखिणिया स्त्री [दे. इङ्किनिका] निन्दा । अवयव । °कुंभ पु["कुम्भ] बड़ा कलश । इंखिणी स्त्री [दे. इङ्खिनी] ऊपर देखो। उद्यानविशेष । °केउ पु केतु] इन्द्र-ध्वज, इंगार , देखो अंगार । कम्म न [°कर्मन्] इन्द्र-यष्टि । °खील देखो °कील । °गाइय इंगाल कोयला आदि उत्पन्न करने का और देखो °काइय। गाह पु [°ग्रह] इन्द्रावेश, बेचने का व्यापार । °सगडिया स्त्री [°शक- किसी के शरीर में इन्द्र का अधिष्ठान, जो टिका] अंगीठी, आग रखने का बर्तन ।। पागलपन का कारण होता है। गोव पु इंगारडाह पुन [अङ्गारदाह] आवा, मिट्टी के | [गोप] वर्षा ऋतु में होनेवाला रक्त वर्ण का पात्र पकाने का स्थान ।
क्षुद्र जन्तु-विशेष । °ग्गह पु [°ग्रह] ग्रहइंगाल वि [आङ्गार] अङ्गार-सम्बन्धी ।
विशेष । °ग्गि पुं [°ग्नि] विशाखा नक्षत्र इंगालग देखो अंगारग।
का अधिष्ठायक देव । महाग्रह-विशेष । ग्गीव इंगालय देखो इंगालग।
पुं [°ग्रीव] ग्रहाधिष्ठायक देव-विशेष । °जसा इंगाली स्त्री दे] ईख का ट्वड़ा, गंडेरी।
स्त्री [ यशस्] काम्पिल्य नगर के ब्रहाराज इंगाली स्त्री [आङ्गारी] देखो इंगाल-कम्म।
की एक पत्नी। °जाल न. माया-कर्म, कपट । इंगिअ न [इङ्गित] इशाग, अभिप्राय के जालि वि [°जालिन्] मायावी, बाजीगर । अनुरूप चेष्टा । ज, ण, °ण्णु वि []
°जुइण्ण पु [°द्युतिज्ञ] स्वनाम-ख्यात इक्ष्वाइशारे से समझनेवाला । मरण न. मरण
कुवंश का एक राजा । °ज्झय [ध्वज] विशेष ।
बड़ी ध्वजा। ज्झया स्त्री [ध्वजा] इन्द्र इंगिअजाणुअ देखो इंगिअज्ज ।
द्वारा भरतराज को दिखाई हुई अपनी दिव्य इंगिणी स्त्री [इङ्गिनी] मरण-विशेष, अनशन- अङ्गलि के उपलक्ष में राजा भरत से उस क्रिया-विशेष।
अङ्गलि के समान आकृति की की हुई स्थापना इंगुअन [इङ्गद] इंगुदी वृक्ष का फल ।
और उसके उपलक्ष में किया गया उत्सव । इंगुई } स्त्री [इङ्गदी] वृक्ष-विशेष । °णील पुन [°नील] नीलम, नीलमणि, रत्न
विशेष । 'तरु पुं. वृक्षविशेष, जिसके नीचे इंघिअ वि [दे] सूंघा हुआ।
भगवान् सम्भवनाथ को केवल-ज्ञान हुआ था। इंणर देखो किण्णर।
°त्त न [°त्व] स्वर्ग का आधिपत्य, इन्द्र का इंद पुं [इन्द्र] देवराज । श्रेष्ठ, प्रधान । परमे
असाधारण धर्म । राजत्व । प्राधान्य । °दत्त श्वर । जीव, आत्मा। ऐश्वर्य-गाली । विद्या- | पुं. इस नाम का एक प्रसिद्ध राजा । एक जैन धरों का प्रसिद्ध राजा । पृथ्वीकाय का एक | मुनि । °दिण्ण पुं [दिन] स्वनाम-ख्यात एक
इंगदी।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org