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अमुय-द-ग]
( ३७६)
[प्रमोसलि
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न मुस्ता.नहीं छोड़ता हुश्रा; न त्यागता हुआ. or view uninfatuated by the Not abandoning ; not giving pomp etc. of other ereeds ; the up. भग० ६, ३२;
fourth of the eight practices of प्रमुय-द-ग. त्रि. (अमृतक) माय भने right faith. पन्न. १; उत्त० २८, ३१; આભ્યન્તર પુગળ લીધા વિના વક્રિયશરીર प्रव. २६६; पंचा० १५, २४; -लक्ख .
मनाचना२. बाह्य और आभ्यन्तर पुद्गल ग्रहण त्रि० (-लच्य-अमूढः सुनिर्णयो लचयो बोधकिये बिना वैक्रियशरीर बनाने वाला. (One) विशेषो यस्य स तथा ) वरतुना २५रूपने who makes or creates a Vai- यथार्थना२. वस्तु के स्वरूप को यथार्थ kriya body (i.e. one which can रीति से जानने वाला. (one) knowing be made large or small at will) the real nature of things; without taking particles of possessed of a correct knowmatter either from inside the ledge of the reality of things. body or outside it. ठा० ७
पंचा० १४, २८; हत्थ. त्रि. (-हस्त) अमुसा. श्र० (अमृषा ) सत्य. सत्य; सचाई. હાથની કળામાં હુશીયાર; હસ્તકળા કુશલ.
Truly; not falsely. सूय० १, १०, हाथ की कारीगरी में कुशल. proficient १२;
in handicrafts ; skilful in अमुह. त्रि. (प्रमुख) निरुत्तर; वाम नापी manual arts. नाया• ६; शते. जो उत्तर न दे सके वह. Having no अमूह. त्रि० (अमूत) नुमे। 'अमूढ' श. देखो answer to give; tongue-tied. | 'अमूढ' शब्द. Vide 'अमूढ'. नाया• ६; भग० ८,६;
अमेज. न. (अमेय ) आध्ये अमु यमत अमुहरि. त्रि. (अमुखरिन् ) पायानलिते; સુધી કઈ વસ્તુને માપીને કેાઈને વેચાતી
मोसो नलित; जो बातून न हो वह; આપવી નહિ એવો નીકળેલ હુકમ. जो ज्यादह नहीं बोले वह. Not loqua- 'कोई भी अमुक समय तक किसी वस्तु को cious; not flippant. " निसंते सिया नापकर न बेंचे' इस प्रकार की निकली मुहरी' उत्त० १, ८;
हुई आज्ञा. Temporary prohibition अमूद. त्रि० ( अमूढ) भूद नहि ते; तत्पने of sale by measurement to go
नगुनार, सन्मार्ग ना२. जो मूढ न हो भग. ११, ११; वह; तस्वज्ञ सन्मार्ग जानने वाला. One)not | अमेज्झ. त्रि० (अमेध्य ) अपवित्र. अपवित्र a block-head; (one) who knows पवित्रता रहित. Impure; unfit for the reality; (one) knowing the religious purposes. विशे० ३४०५; true path. नाया० १७; दस०१०, १,७; ! न० वि४); न२. विष्टा; मल. excreta; -दिहि. स्त्री० (-दृष्टि ) अन्य दर्शननी faeces. तंडु. घाम धुम त२५ मे वसनी दृष्टि-मुद्धि | अमोसलि. न. ( अमुसलि-न मुसली સમકિતના આઠ આચારમાંને ચોથે આચાર. | क्रिया यस्मिन् प्रत्युपेरणे तवमुसलि ) अन्य धर्मों की ओर मोह रहित दृष्टि; सम्यक्त्व પડિલેહણ કરતાં વસ્ત્રને મુશલ-સાંબેલાની के पाठ प्राचारों में से चौथा आचार. sight मा ज्यु नीन्यु श ५२१ नाये
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