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________________ सत्त्व ३०४ ३. सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ १२. जीव पदोंकी अपेक्षा नामकर्म सत्त्व स्थान प्ररूपणा-(गो. क.१६२३-६२७/८२८) - - मार्गणा कुल स्थान प्रति स्थान प्रकृतियाँ प्रकृतियों का विवरण नारकी सामान्य १०,६१, ६२ नारकी (४-७ पृ.) तियंच (सर्व) ८२, ८४, ८८ मनु. सामान्य ८२ रहित सर्व अयोग केवली ७७,७८, ७६, ८०,६,१० देखो सत्त्व स्थानोंको सारणी सयोग के बली ७७, ७८, ७६८० आहारक ६२,६३ सर्व भोग भू. मनु, ति. वैमानिक देव १०, ६३ १०. ६१, १२, १३ १०, १२ भवनत्रिक सर्व सासादनवर्ती १३. नाम कर्म सत्त्व स्थान ओध प्ररूपणा-(पं.सं./प्रा./५/२१७ ); (प. सं./प्रा./४०२-४१७ ); (गो. क./६९२-७०२/८७२ ) (प. सं./सं./५/४१६-४२८)। संकेत- सत्त्व स्थान - प्रकृतियोंका विवरण - देखो सारणी सं.११॥ गुण स्थान | स्थान प्रतिस्थान प्रकृति (देखो सारणी सं.११) स्थान स्थान प्रति स्थान प्रकृतियों (देखो सारणी सं. ११) ८२,८४,८८,१०,६१,६२ ६०, ६१, ६२, ६३ क्षपक ७७, ७८, ७६८० उपशमक,१०,६१, ६२, ६३ ६०,६२ पूर्वोक्त नवम गुणस्थानवद - १०,६१, ६२, ६३ ६०, ११, १२, १३ ७७, ७८, ७६, ८० ६, १०, ७७, ७८, ७६, ८० जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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