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________________ सत्त्व २८५ ३. सत्त्व विषयक प्ररूपणाएँ ४. मोह प्रकृति सत्त्वकी विमक्ति अविभक्ति प्रमाण-क. पा. २/१०१/८३-८७ । संकेत.२८ प्र.-मोहकी सर्व २८ प्रकृतियाँ ७ प्र.-दर्शन मोह ३+अनन्तानु.४६ प्र.-मिथ्यात्व रहित उक्त ७२प्र-सम्य व मिश्र मोह वि.= विभक्ति; अवि.- अविभक्ति। शेष के लिए देखो.सारणी मं.१का प्रारम्भ। विभक्ति अविभक्तिकी प्रकृति या शेषकी विभक्ति प्रमाण मार्गणा ६प्र. २प्र. २८ प्र. । ७ प्र. प्र. २ प्र. अन्य विकल्प x x x xx x x x x x x x x x x x x x :: xxxxxxxxxx x xxxxxxxxxxxxx गति मार्गणा नरक गति सामान्य प्रथम पृथिवी २-७ पृथिवी तिथंच सामान्य पंचेन्द्रिय ति.सा. प. तिथंच योनिमति पंचे ति. ल. अप. मनुष्य त्रिक मनुष्य ल. अप. देव सामान्य भवनत्रिक देवी सर्वकल्प वासी इन्द्रिय मार्गणा सर्व एकेन्द्रि.प. अप. ., विकलेन्द्रि.प. अप. , पंचेन्द्रिय सा. प. .,पंचे. ल. अप. काय मार्गणा योगमार्गणा पाँचों मनोयोग , वचन , काय योग सामान्य औ., औ, मिश्र वै., वै. मिश्र आ., आ. मिश्र कार्माण बेद मार्गणा स्त्री वेद x x x xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx x x x x - इन्द्रिय मार्गणावत X x x x X x X x x :: ::xx X x x x x x x X x x x X x पुरुष वेद X x x x xxx अप्रत्य. आदि १२ कषाय. दर्शन मोह ३, नपु.-१६ को वि. अवि. शेष १२ की अवि. । संज्व. ४, व पुरुष वेदके बिना २३ की विभक्ति अवि.। और इन ५ की वि.. १२ कषाय. दर्शनमोह ३, नपुं. इन १६ की वि. अवि.। शेष १२ को वि.। अनन्तानु ४के बिना २४ वि.अवि. अनन्तान की विभक्ति।। x नपुंसक वेद X x अपगत वेद X x x जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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