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________________ संख्या Jain Education International द्रव्य की अपेक्षा क्षेत्रको अपेक्षा कालकी अपेक्षा भा०४-१३ मार्पणा गुणस्थान घ.खं. प्रमाण प्रमाण | असं.का प्रमाण ष. खं. प्रमाण मनुष्य सामान्य मनुभ्य पर्याप्त | → ओधवत् - - कोड़ाकोड़ाकोड़ी कोड़ाकोड़ाकोड़ाकोड़ी के बीच में अति- (उपरोक्त मनुष्य सामान्य राशि-अपने २-१४ गुणस्थानोंका जोड़) टी./२५४ टो./२६० मनु. सा. उत् → ओघवत - - m Stu जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश AKAM of मनुष्यणी For Private & Personal Use Only कोड़ाकोड़ाकोड़ी ३ कोड़ाकोड़ाकडाकोड़ी। के बीचमें . अर्थात- उपरोक्त मनुष्यणी सामान्य राशि- अपने २-१४ गुणस्थानोंका जोड़ टी.'६० २-१४ टी./२६१ मनुष्य अपर्याप्त २५ असं. उत. अब. से अपहृत . १४. देवगति गुणस्थान प्रतिपन्न उपरोक्त मनुष्प + संस्थान । किती निनत राशिका उपदेश प्राश नहीं है । असं. असं.करोड योजन (ति. प./८/६६१-६७४); ( गो. जो./मू. व जो. प्र/१६०-१६३ ) असं, ७३३ ज.प्र. - ( २५६ सूच्च गुल) | असं. ७३३८ (ज. - असं) प्रमाण असं जो असं. - ज.प्र.-(सं. सौ याजन)२ असं. उत. अय. से अपहृत सामान्य भवनवासी वानव्यन्तर 15 Aur KaM Mur owinnr ७३३३ G. ७१३३ ३. संख्या विषयक प्ररूपणाएं ज्योतिषी → देव सामान्यवत् - सौधर्म ईशान ७३६४ ७४४.४६ जप्र./अ.प्रमाण असं. ज.. असं.उत. अव, से अपहृत A www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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