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यंत्र
३१ - रुक्मपात्रांकित-तीर्थ-मण्डल यंत्र
周
ॐ ह्री
सीतोदाविदमहाहृददेवस्थाने चैत्यचैत्यालयेभ्य. स्वाहा
ही
महापाताविव
त्यस्थाने चैत्यालयेम्मा
स्वाहा /
ॐ ह्री
स्वाहा / दवीस्थाने चैत्यालयेभ्थ चैत्यगङ्गादिः
忘
३३- रुक्मपात्रांकित
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व्रजमंडल यंत्र
फ
ॐ
ए
很
时尚
ऊँ ही अर्ह
श्री परब्रह्मणेऽनन्तानन्तज्ञानशक्तये
ॐ ही
लवणोदकालोद मागधादितीर्थस्थाने चैत्यचैत्यालयेभ्थ. स्वाहा
नमः
स्वाहा
स्वाहा
श्री त्यालयेभ्य
चैत्य
सादितीर्थस्थाने सीतासीतोदा
ऊँ ह्री
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接器
(चैत्यालयेभ्यः)
चैत्यसमुद्रदेवस्थान सख्यातीतॐ ही
ॐ हा वदमानदेवाय में रक्ख रक्ख
ही
३५९
ॐ ह्रीं हैं ॐ
नदि वृद्धि सम्पत्ति-विधायकाय परमोदारिकशरीरस्थिाय शान्ति पुष्टि
३४. वर्द्धमान यंत्र
३२- रुक्मपात्रांकित वरुण मंडल यंत्र
स्वाहा
वर्द्धमानाय व ॐ ह्रीं
चिह्न जटठडढ
स्वाहा
ॐ ही हैं वर्द्धमानाय
| तथ दधन पफबभम |
स्वाहा
वर्द्धमानाय
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कखगघड ओ स्वाहा
ら
स्वाहा ।
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नट नह
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सित
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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३४- वर्द्धमान यंत्र
लू ए ए आओ अं अ
ॐ ही ह | वर्द्धमानाय
य र ल व स्वाहा
ॐ ह्रीं ह
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ह
वड्ढमाणस्स रिसहस्स जस्स चक्क जलत
वर्द्धमानाय शष सह स्वाहा
नम स्वाहा
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खाहा
नमः
स्वाहा नमः
ॐ ह्री हैं
ष्टि कुरु कुरु स्वाहा ॥ २ ॥
| आचायाय उपाय ही ह
ॐ ह्रीं हूँ
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