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गणित
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II गणित विषयक प्रक्रियाएँ
(४) यदि
-क, तो ..न-क-न
ब
एक ही हार होता है । यथा (+3+1)(32+३+3) इस प्रकार सर्व राशियोंके हारोंको समान करना समच्छेद कहलाता है) अब संकलन करना होइ तो परस्पर अंशनिको जोड़ दीजिए और व्यकलन करना होइ मूल राशिके अंशनिविष अणराशिके अंश घटाइ दीजिए । अर हार सबनिके समान भए । ताते हार परस्पर गुणे जेते भए तेते ही राखिए। ऐसे समान हार होनेते याका नाम समच्छेद विधान है। उदाहरणार्थ
५४ ६०+४+१४
..
-क
+
न-१
के
(५)
-कतो
-- कता बस
-
क-
-
आर
और
+१
२
३
६०
४८
५४
६०+४८-५४
(६) यदि -क और - क+स, तो
कोई सम्भवतः प्रमाणका भाग देइ भाज्य व भाजक (अंश व हार) राशिका महत् प्रमाणकौं थोरा कीजिए वा निःशेष कीजिए तहाँ अपवर्तन संज्ञा जाननी।
-क-स, तो ब'
म+
___(७) यदि
- क और बा दूसरा भिन्न है, तो
गुणकार विषै गुण्य और गुणकारके अंशको अंशकरि और हारको हारकरि गुणन करना। यथा ५४३४३%3%D8
भागहार विषै भाजकके अंशको हार कीजिए और हारनिको अंश कीजिये । ऐस पलटि भाज्य भाजकका गुण्य गुणकारवत (उपरोक्त) विधान करना।
वर्ग और घनका विधान गुणकारवत हो जानना। अर्थात अंशों वहारोंका पृथक्-पृथक् वर्ग व घन करके अंशके वर्ग या धनको लब्धका अंश और हारके वर्ग या घनको लब्धका हार जानना ।
(८) यदि
- क और
अल-क+स, तो
(e) यदि अ - क और सब-क+स. तो
यथा (4)
अथवा (५)
२६
वर्गमूल व घनमूल का विधान भी वर्ग व धनवत जानना अंशका वर्ग या घन तो लब्धका अंश है और हारका वर्ग या धन लब्धका हार है।
(१०) यदि अ - क और * - का, तो
मन्या (¥)-२१अमा () -
(१) यदि 4
और 24-७, तो
२१४3
कस क' - क +4-स
भिन्न परिकाष्टक विषयक अनेकों प्रक्रियाएँ ५.३/१,२,५/गा.२४-३२/४६ तथा (ध.५/प्र.११)
११. शून्य परिकर्माष्टककी प्रक्रियाएँ गो. जी /पूर्व परिचय/६८/१७ अब शून्य परिकर्माष्टक लिखिए है। शुन्य नाम बिन्दीका है। ताके संकलनादिक (पूर्वोक्त आठों) कहिए है।
यदि म - क और दर - क
तो दर मलिक) या एक बार (३) यदि म = क और मक
संकलन =अंक+0== अंक व्यकलन - अंक-0= अंक गुणकार - अंक x 00
वर्ग - (०)२ वर्गमूल - घन - (०)३
-.
घनमूल -(0)
भागहार - अंक-0cc
(अक्क्तव्य)
तो (क-क)+म-म
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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