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गणित
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गणित विषयक प्रमाण
ala)
A
(राशि
२. अलौकिक संख्याओंकी अपेक्षा सहनानियाँ
७. क्षेत्रप्रमाणोंकी अपेक्षा सहनानियाँ ( गो.सा/जी.का/की अर्थ संदृष्टि)
(ति प./६/६३; १/३३२) सख्यात
जघन्य अनन्तानन्त : ज.जु.अ.व सूच्यंगुल
(जघन्य युक्ता० का वर्ग) असं वात
प्रतरांगुल
प्र ४ अनन्त
(उत्कृष्ट अनन्तानन्त जघन्य संख्यात 11 केवल ज्ञान)
घनांगुल २
: के
जगश्रेणी जघन्य असंख्यात :२
(मध्यम अनन्तानन्त उत्कृष्ट असंख्यात १५ (सम्पूर्ण जीव राशि):१६
जगत्प्रतर जघन्य अनन्त १६ संसारी जीव राशि : १३ लोकप्रतर
: लो.प्र. : == उत्कृष्ट अनन्त के सिद्ध जीव राशि :३ धनलीक
: लो :: जघन्य परीतासंख्यातः १६ पुद्गल राशि
गो. सा.व. ल.सा की अर्थ संदृष्टि उत्कृष्ट परीतासंख्य. :२१ (सम्पूर्ण जीव राशिका
: जगश्रेणी : र
:१६ख जघन्य युक्तासंख्यात : २
अनन्तगुणा)
काल समय राशि :१६खख उत्कृष्ट युक्तासंख्यात: ४१. आकाश प्रदेश राशि: १६ख स्व.ख रज्जूप्रतर
: रज्जू : (७)२ : जघन्य असंख्यातासं.:४ (केवलज्ञानका प्रथम
रज्जू घन उत्कृष्ट असंख्यातासं. : २५६१ -
: रज्जू .(७) ३ : ३३ जघन्य परीतानन्त : २५६
(सूच्यंगुलकी अर्धच्छेद (पत्यकी अर्धच्छेद
केवलज्ञानका द्वि, मूल · के.मूर उत्कृष्ट परीतानन्त : ज.जु.अ.१ केवलज्ञान
राशि
राशि)२ :: छे छे जघन्य युक्तानन्त : ज.जु.अ.
ध्रुव राशि
: २५६/१३
(सूच्यं गुलको वर्गशलाका (पत्यकी वर्गशलाका उत्कृष्ट युक्तानन्त : ज.जु.अ.ब.
राशि असंख्यात लोक
राशि)२ प्रमाण राशि
(प्रतरीगुलकी अर्धच्छेद (सूच्यंगुलकी अर्धच्छेद : छे छे. (ग
राशिx२)
(प्रतरांगुलकी वर्गशलाका (१६२२ या १६/६)
राशि ३. द्रव्य गणनाकी अपेक्षा सहनानियाँ
(घनांगुलकी अर्धच्छेद (गो.सा/जी.का/की अर्थ संदृष्टि) सम्पूर्ण जीव राशि : १६ पुद्गल राशि : १६व. संसारी जीवराशि : १३
काल समय राशि । १६ख ख.
(घनांगुलकी वर्गशलाका मुक्त जीव राशि : ३ (आकाश प्रदेश १६ख.ख ख. (राशि
राशि
(जगश्रेणीको अर्धच्छेद (पल्यकी अर्धच्छेद राशि : छे छे छे. ४. पुद्गल परिवर्तन निर्देशकी अपेक्षा सहनानियाँ
राशि
+ असं)x(घनागुलकी या विछेछ, (गो.सा/जी.का/की अर्थ संदृष्टि)
अर्धच्छेद राशि) (यदि वि-विरलन गृहीत द्रव्य .१ मिश्र द्रव्य
राशि) अगृहीत द्रव्य अनेक बार गृहीतः (दो बार
(जगश्रेणीकी वर्गशलाका घनांगुलकी वर्गशलाका+ अगृहीत या मिश्र लिखना (राशि
पल्यको वर्ग. श. द्रव्यका ग्रहण
ज. परी.असं४२ ५. एकेन्द्रियादि जीव निर्देशकी अपेक्षा
या व२x२ १६/२ (गो.सा/जो का/की अर्थ संदृष्टि)
(जगत्प्रतरकी अर्धच्छेद : जगश्रेणीकी अर्धच्छेद एकेन्द्रिय
छे छे छ। संज्ञी विकलेन्द्रिय वि पर्याप्त
राशि
राशिx२ पंचेन्द्रिय अपर्याप्त
(जगत्प्रतरको वर्गशलाका : जगश्रेणीकी वर्गअसंज्ञी
राशि
शलाका+१ बादर ६. कर्म व स्पर्धकादि निर्देशकी अपेक्षा
(घनलोककी अर्धच्छेद छे छे छे,
: वि छे छे (गो.सा./जो. का/की अर्थ संदृष्टियाँ)
राशि
(यदि वि-विरलन राशि) समय प्रबद्धस
स्पधक शलाका ६ (घनलोकको वर्गशलाका : उत्कृष्ट समय प्रबद्ध ! स३२
एक स्पर्धकविषै जघन्य वर्गणा
वर्गणाएँ
र राशि :ब
:४
:व.
राशि
या व +4
J
मा.
ब.
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