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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
४. अन्य प्ररूपणाएँ
पद विशेष
१
ज. उ. पद
२ भुजगारादिपद
३ वृद्धि हानि
मूल प्रकृति
(१) अष्टकमक बन्धके स्वामी जोकी अपेक्षा ओष आदेश क्षेत्र प्ररूपणा
प्रमाण - (म. ब/पु.नं ०/३/पृ० सं०
१९ ज उ. पद
२
३ वृद्धि हानि
जना पद
प्रकृति
उत्तर प्रकृति
(२) अष्ट कर्म सत्यके खामी जीवों की अपेक्षा ओष आदेश क्षेत्र प्ररूपणा प्रमाण- (म.न.पु.न.इ... ००...)
म
१ पेज्ज दो सामान्य) १ / ३८३/३६८-३१६
२ २४, २८ आदि
स्थान
३ ज. उ. पद
४ भुजगारादिपद २/४४३/४०० ४०६ ५ वृद्धि हानि
२५९४५९०५४६३
(३) मोहनीयके सत्त्वके स्वामी जीवोंकी अपेक्षा ओघ आदेश क्षेत्र प्ररूपणा
प्रमाण (क.पा./पु.न //.नं.--)
२/२०१/१६२-१६३
२/ ३०/११७-१८
२/१६०-३६९१/३२४-३२६
२/०७-०३-१० २/१०५/१६३-१६४
१/२०१-२६२/१०१-११०/२/१६१-१६१/६२-१०१ | ३/४०१-४००/२१३-२१०] ४/२०१-२००/२७-११
३२००२-४०४/३६५-३६०४/२०१/१३४ ३/१२६-६१२/४५१-४५५५/३६३/१६५
स्थिति
उत्तर प्रकृति
घूस कृति
२/ २०३ - २०५/११६-११०४/१९४-१९०१५६-१०
३/११२~११८/६४-६८ २/६१६-६२१/३६४-२६८ ५/१८-२०२/६२-६२
३/२०६-३०७/१६८- १६६ ४ / ३७४ / २३१
अनुभाग
५/१५५/१०३ ५/१०/१२१
उत्तर प्रकृति
५/३३८-२४०/१४२-१११
५/६२०/३६५
५/४१०-११२/२०१-२०५६/१११-१२२/६१-०१
५/३३७-३८५/३२६-३२७ ५/४६६/२६०-२६१
५/५५३/३२९
(४) पाँचों शरीरोंके योग्य कोंकी संचालन परिशाउन कृतिके स्वामी जीवोंकी अपेक्षा ओव आदेश क्षेत्र प्ररूपणा (देखो १/१. २६४-३००) (४) पाँच शरीरं २,३,४ आदि गंगा स्वामी जीनोंको अपेक्षा ओष आदेश क्षेत्र प्ररूपणा (देखो १४ / २६१२६६
(६) २३ प्रकार वर्गणाओंकी जघन्य उत्कृष्ट क्षेत्र प्ररूपणा
..१४/१/१.१४६/१
(७) प्रयोग, समवदान, अथः, तप, ईयांपय व कृति कर्म इन पट्कम स्वामी जीवोंकी अपेक्षा ओष आदेश क्षेत्र प्ररूपणा (देखो ध.४/पृ. ३६४-३००)
प्रदेश
मूल प्रकृति
व. १९/५१-०४
उत्तर प्रकृति
क्षेत्र
२०८
४. क्षेत्र प्ररूपणाएँ