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विषय
मूल प्रकृतिकी ओघ आदेश प्ररूपणा
उत्तर प्रकृतिको ओघ आदेश प्ररूपणा नाना जीवापेक्षया एक जीवापेक्षया / नाना जीवापेक्षया । एक जीवापेक्षया
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(१३)
| अष्ट कर्म अनुभाग उदी
रणामें अन्तर :- (ध. पु./पृ.) ज. उ.
१५/२०८-२१०
१५/१६६-२०३ भुजगार.
१५/२३६
१५/२३३/२३४ वृद्धि . | अष्ट कर्म प्रदेश उदोरणामें अन्तर :- (ध. पु./पृ.)
१५/२६१
१५/२६१ भुजगार.
१५/२७४
१५/२७४ वृद्धि. अष्टकर्म अप्रशस्त उप
शमनामें अन्तर :- (ध. पु./पृ.) प्रकृतिके तीनों विकल्प
१५/२७७ २५/२७७ १५/२७८-२८०
१५/२७८-२८० स्थितिके ,
१५/२८१ २५/२८१ १५/२८१
१५/२८१ अनुभाग .. .
१५/२८२ १५/२८२ १५/२८२
१५/२८२ प्रदेश , " (१४) अष्टकर्म संक्रमणमे
अन्तर:प्रकृतिके तीनों विकल्प
१५/२८३-२८४ १५/२८३-२८४ १५/२८३-२८४ १५/२८३-२८४ स्थितिके ,, अनुभाग ,
प्रदेश , (१५) माहनीय प्रकृति सत्त्वमें
अन्तर:- (क. पा. पु./पैराप.) राग व द्वेष
१/६३६९/४०६-४०७ १/६३७५ सामान्य
२/६४/४४
२/६१८४-१८५११७३-१७५] २/६१३५-१४१/१२३-१३० सत्त्व स्थान,
२/६३७८-३८१/३४४-३५२ २/७३०८-३२५/१८१-२६२ भुजगार.
२/६४६४-४६७/४१६-४२२ २/४३८-४४२/३६७-४०४ वृद्धि .
२/७५२६-५३१/४७५/४७८ २/४६८-५०४/४४६-४५५ माहनीय स्थिति सत्त्वमे ।
अन्तर:- (क. पा. पु./पैरा/पृ.) । ज. उ. स्थिति
१९२१८-२२२/१२३-१२५ / ३/१८८-१९४/१०८-११० / ३/६१५५-१६३/८८-६३ ३/९८३-६२/४७-५४ वृद्धि. आदि पद.
३/६३२८-३४१/१८०-१८५/ ३/३२७३-२८६/१४६-१६०० ज. उ. स्थिति स्वामित्व
३/६७३-७०६/४०६-४२४ ३/S५३८-५७२/३१६-३४५ भुजगार.
४/१४३-१६१/७४-८२४/७१-११/४२.५० वृद्धि.
४/ -४५८/२६०-२७४४/३१५-३५७/१६१-२२१ (१७) मोहनाय अनुभाग सत्वमें
अन्तर :-](क.पा, पु./पैरा/पृ.) ज. उ.
1५६१३१-१३७/८५-६० /६०-८१/४३-५२ ५/९२६१-३१८/२४१-२४६ ५/६३०३-३२४/२०१-२१३ भुजगार.
१/७१५६/१०६ |५/१४७-१५०/१७-६६ ५/६५०५-५०८/२६५-२६० /६४८१-४८६/२८०-२८६ वृद्धि .
५४६१८३/१२३.१२४ ५/६१७४-१७६/११६/११८ वृद्धि आदि पद
५/५६२-५६५/३२६-३२८/५/५४०-५४४/३१२-३१६
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोष
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