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१
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५. कर्मों के बन्ध उदय सत्व विषयक प्ररूपणा :
नोट- उसे उस विषयकी प्ररूपणाके लिए देखो संकेतित प्रमाण अर्थात् शास्त्रमें वह वह स्थल 1
मूल प्रकृतिकी ओघ आदेश प्ररूपणा नानाजीवा
अष्ट कर्म प्रकृति बन्धमें
ज. उ.
भुजगार. वृद्धि.
ज. उ.
अष्ट कर्म स्थिति बन्धमें
विषय
अन्तर :--
अष्ट कर्म अनुभाग बन्धमें
अन्तर :
ज. उ. भुजगार,
वृद्धि.
अष्ट कर्म प्रदेश बन्धमें
अन्तर :
ज.उ.
भुजगार,
वृद्धि.
अष्ट कर्म प्रकृति उदयमें
अन्तर :
ज.उ. भुजगार,
वृद्धि,
सामान्य
अष्ट कर्म स्थिति उदयमें
अन्तर :
अन्तर :
ज. उ. भुजगार. वृद्धि.
अष्ट कर्म अनुभाग उदय
में अन्तर :
ज. उ.
भुजगार• वृद्धि,
अष्ट कर्म प्रदेश उदयमें
ज. उ.
भुजगार. वृद्धि
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अष्ट कर्म प्रकृति उदीरणा
में अन्तर :
अन्तर :
ज. उ. भुजगार.
वृद्धि.
अष्ट कर्म स्थिति उदीरणा
में अन्तर :
(म.म. पु. / सू./पु.)
१/३६५-३६०/२५० - २५८१/८४-१२२/६६-६४
(म. म.पू././१.)
२/२०४-२२०/११८-१२५ २/१७-१२३/५१-०७
(म.न.पु.सू./पृ.) ४/२४-२५८/९९६ १२० ४/२००-३०१ / १२८ 2/226/264
२/५४४-१४/२६६-२६०२/२१७-२६१/२४-४२१
२/३२६-३३६/९६१-१०२२/२८१-२१४/१५१-१४७३/०६६-८०६/३८०-३८५ ३/०१३-०६३/३३६-३६१ २/४०३-४०४/२०२-२०३ २/३००-३८२/९८८-११४ ताड़पत्र नह हो गये
३/८२-१९३/४९८-४
(म.म. पु. / खू./१.) ६६४-६६/५०-५१ ६/९४०-१४१/०६-७०
(ध. पु. / पृ.) १५/२८५
(प.पू./पृ.)
१५/२६१
१५/२६४
(ध. पु. / पृ.)
१५/२१६
एक जीवापेक्षा
(ध.पू./पृ.) १५/२६६
( घ० पु० / पृ.) १५-४६-५० १५/५१-५२
(ध. पु. / पृ.) १५/१४१ १५/१६९-१६२
४/११८- १०१ / ४४ ४/२७३-२८४/१२७-१३१ ४/६५६/१६१
4/20 83/84-85 ६/१०७ - १२४/५७-६५
१५/२८५
२५/२०१
१५/२६४
१५/२१६
29
१५/२१६
"
१५/४६-५० १५/५१-५२
१५/१३०-१३० १५/१६१-१४२
उत्तर प्रकृतिकी ओघ आदेश प्ररूपणा
नाना जीवापेक्षा
एक जीवापेक्षया
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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१२/२
१५/२६५
"
ॐ
१५/२६६
13
"3
१५/३०६
१५/६०-६०
१५/६७
84/eve
१५/१६९-१२२
६/१४८-२६८/९५४
१३/२८८
१७/२१४
१५/२६६
१५/३०६ १३/३२१
१६/६८-६७
१५/६७
१५/१३०-११६ १५/१६१-१३२
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