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मार्गणा
नाना जीवापेक्षया
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एक जीवोपेक्षया प्रमाण | १/२
प्रमाण
प्रमाण
मार्गणा
अपेक्षा
गुग । प्रमाण स्थान
जघन्य
अपेक्षा
जघन्य
अपेक्षा
उत्कृष्ट
१।
२
-
निरन्तर मूलोधवत निरन्तर
अन्योन्य परिवर्तनाभाव मूलोघवद
३२८ | परिवर्तनका अभाव
अन्योन्य परिवर्तनका अभाव मूलोषक्त परिवर्तनका अभाव
३२६]
११ भव्यत्व मार्गणाः भव्याभव्य सा, भव्य
|१-१४ । अभव्य १२ सम्यक्त्व मार्गणा सम्यक्त्व सा. क्षायिक सा. प्रथमोपशम द्वितोयोपशम
निरन्तर
१३५ कुछ कम अर्ध पु.परि. भ्रमण
पतनका अभाव कुछ कम अर्ध पु.परि. परिभ्रमण ।
समय | सासादनवत
-
पन्य/असं. ५६) ७ रात दिन
पल्य/असं. १३४ अन्तर्मुहूर्त
मिथ्यात्व हो पुनः सम्य. पतनका अभाव (दे. अंतर २/६) उप.श्रेणी से उतर वेदक हो पुनः उप. श्रेणी मिथ्यात्व हो पुन' सम्य | मूलोधवत मिथ्यात्व हो पुनः ३रा मति अज्ञानवत मूलोधवत
निरन्तर ६११ समय मूलोधवत
१४०
६२ पत्य/असं.
वेदक सासादन सम्यग्मिथ्यात्व निध्यादशन सम्यक्त्व सा.
निरन्तर
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१३६' पत्य/असं.
अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त
मिथ्यात्वमें ले जाकर चढ़ाना १४१' १३२ सागर मति अज्ञानवत् . प.को पृ.-४ अंतर्मु. | २८/ज सज्ञी सम्मूच्छिम हो वेदक सम्य..
पा वा धार भरा देव हुआ। मिथ्या दर्शनमें ले जानेसे मार्गणा नष्ट होती है अवधिज्ञानवद
अवधिज्ञानवत् ३३४
अवधिज्ञानवत
उपशमक
क्षपक ८-१४ क्षायिक सम्यक्त्व | ४ .
मूलोधवत निरन्तर
मूलोषवत् गूणस्थान परिवर्तन
अन्तर्मुहूर्त
३४०
३४२
३४२
उपशमक
८-११ ३४३||
१ समय | मुलोधवव
वर्ष पृ..
.
मूलोधवत् पू.को.-८ वर्ष-२ अंत. २८/ज मनुष्य असंयत हो ऊपर चढ़े
३३सा.+२ पू.को..,, पर अनुत्तर देव हो। चयकर मनु. हो । |-८ वर्ष-१४ अंतर्मु. भवान्तमें ५वा व ६ठा धार सुक्त। | ३३ सा.+१पू.को... (परन्तु प्रथम मनुष्यभवके अंतमें भी |-८ वर्ष-१ अंतर्मु. | संयत बनाना)
(१ अंतर्मु की जगह क्रमशः २७, २५, | २३, २१ अंतर्मु.)
मूलोधवत्
सिम्यक्त्व सामान्यवत् 1६६ सा.-३ अंतर्म. | वेदक वा मनु, भवके आदिमें संयम
पा मरे; अनुत्तर देव हो, फिर मनु., संयत, देव, पुनः मनु, । वेदक कालकी समाप्तिके निकट संयतासंयत हो क्षायिक, संयत बन मोक्ष।
३४७
क्षपक ८-१४ ३४७
४ ३४६
ऊपर नीचे दोनों ओर ३४६ परिवर्तन मूलोधवत सम्यक्त्व सामान्यवर गुणस्थान परिवर्तन
- मूलोधवत्
सम्यक्त्व सा. बद ३४४ ... निरन्तर
वेदक सम्यक्त्व
अन्तर्मुहूर्त
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