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________________ आयु ३. एक अन्तर्मुहूर्तमेंध्यपर्याप्त सम्भव निरन्तर क्षुद्रभव (गो.जी./. १२१-१२२/२३२-२२२) (का.अ./टी. १२०/७५) मार्गणा क्रम १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ { १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ नाम एकेन्द्रिय (ल. अप.) पृथिवी कायिक अपू. तेज 2: वायु विषय 34 वनस्पति साधारण १७ विकलेन्द्रिय ( " अप्रति प्रत्येक अशी सही मनुष्य " . वीडिय त्रीन्द्रिय चतुरेन्द्रिय पंचेन्द्रिय (ल. अप.) भरत पेरामत क्षेत्र सुषमा सुषमा काल सुषमा काल सुषमा दुषमा काल दुषमा सुषमा काल दुषमा काल दुषमा दुषमा काल विदेह क्षेत्र हैममत हैरण्यक्त हरि-रम्यक देव-उत्तर कुरु बन् Jain Education International (ल अप.) प्रमाण ति.प. गा. | सूक्ष्म २२५४ ४०४ बादर सूक्ष्म बादर सुक्ष्म बादर सूक्ष्म बादर सूक्ष्म बादर सूक्ष्म बादर जघन्य आयु प्रत्येक में योग (जोड) २० वर्ष १२ * . . . . . . . .⠀⠀ ६०१२ १कोड पूर्व १ पव्य Co ६० ४० 5 V N देव कुरु उत्तर कुरुवत् हरि-रम्य हैमवत हैरण्यटनद विदेह क्षेत्र प्रमाण ति. प. ४ अन्य गा. प्रमाण २९५६ ३६६ २ ३३५ 99 (१कोड पूर्व ) | २५१३ ६६१३२ कुल योग प्रमाण ४. मनुष्य गति सम्बन्धी :- १ पूर्व - ७०५६०००००००००० वर्ष ति. प. ६ अन्य १. क्षेत्रको अपेक्षा गा. प्रमाण प्रमाण (सू. आ. १९९१-१९९२) (ति/गा) (स.सि. ३/२७-३१. ३७/५८-६६): (रा.मा. २/ २०-२१.२०/१११११२.११८) १८० २४ ६६३३६ उत्कृष्ट आयु १२० वर्ष २० 99 १कोड़ पूर्व १ पल्य २ " ३ २६४ 19 " अवसर्पिषी सुषमा सुषमा काल सुषमा सुषमा दुषमा " दुषां सुषमा दुषमा " दुषमा दुषमा " वरसर्पिषी ८३ ८४ 31 11 19 दुषमा दुषमा काल १५६४ १५-१६ वर्ष दुषमा " २० १९६८ १५७६ | १२० १४१६ एकोड़ पूर्व दुषमा सुषमा " शुचमा बुषमा दुषमा " सुषमा सुषमा " 11 ८५ 14 11 11 31 97 प्रमाण ति.प. गा २. कालकी अपेक्षा - (ति.प. ४ / गा ) विषय 93 97 " 39 "" १६०४ ५. भोगभूमिजों व कर्म भूमियों सम्बन्धी (ति.प./गा.) उत्तम भोगभू. ३ पण्य २ पश्य १ " मध्यम " जघन्य I पूर्व कोड़ कर्म भूमि देखो ऊपर भरत ऐरावत क्षेत्र 19 11 11 19 11 99 11 (१) देवोकी अपेक्षा १,२ ४,५ 19 11 19 "" महत्तर देवो दोष देन 13 नं. ४ नीचोपपाद दिग्वासी अन्तर निवासी 99 "1 19 ::: 19 11 ६. देवगति में व्यन्तर देवों सम्बन्धी १. (यू. आ. १९१६-१९९०) २ (त सू. ४/२८-३६) १ (वि.प. ४, ५,६ / गा ), ४, (त्रि सा. २४०-२६३); ५ (द्र स / टी. ३५ / १४२) संकेत-साधिक- अपनेसे ऊपरकी अपेक्षा यथायोग्य कुछ अधिक आयु 19 २ पव्य १ 99 कोड पूर्व १२० वर्ष २० १५५४१३१६.. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश For Private & Personal Use Only १६०० १ पक्य १६०२ | २ २६० २८६ २८८ ॐ आयु विषयक प्ररूपणाएँ प्रमाण जघन्य आयु ति प / ४ अन्य प्रमाण नाम कूष्माण्ड उत्पन्न अनुत्पन्न प्रमाणक व्यन्तर सामान्य किन्नर आदि आठों इन्द्र प्रतीन्द्र सामानिक गन्ध महा गन्ध भुजंग (जुगल) प्रातिक आकाशोत्पन्न ३३५ 584 ४०४ १२७७ १४७५ १३३८ १५१५ २५६८ २६० २८६ २८ जघन्य - सर्वत्र १०.००० वर्ष उत्कृष्ट १ पण्य ३ पक्ष्य २ " 99 १ " उत्कृष्ट आयु कोड़ पूर्व १२० वर्ष २० २० वर्ष १२० .. कोड़ पूर्व १ पल्य २ 99 ३ "1 17 १/२ पण्य यथायोग्य १०,००० वर्ष २०,००० ३०,००० ४०,००० ५०,००० ६०,००० ७०,००० 67 "" ܙܕ ܘܘܘܨܘE ८४,००० १/८ पश्य १/४ १/२ " 99 99 विशेष दिशाओं में स्थित वाहनादिवाले www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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