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आख्यानकमणिकोशे
अथेत्थ सच्चाई जो नयरम्मि पसरियपयावो । तज्जंघा मज्झणं निग्गच्छउ जइ इमा मुद्धा || ५५ ॥ तत्तोसा सुइया जक्खाययणम्मि जाव संचलिया । जाओ अलियगहिल्लो विडपुरिसो जाणि ताव ॥ ५६ ॥ गायंतो पलवंतो नच्चंत डिंभपरिवुडो संतो । धूलीधूसरगत्तो आलिगंतो सयललोयं ॥ ५७||
तम्मि पए से पत्तो सा गच्छन् जत्थ पउरपरियरिया । सहसा आलिंगंतो तीए निम्भच्छिओ बाढं ॥ ५८ ॥ आ पाव ! कहं छित्ता पुणो वि व्हाइत्तु आगया भवणे । जक्खम्स परपच्चक्खमेरिसं भणिउमादत्ता ॥ ५९ ॥ भयवं ! नियभत्तारं एयं च गहिल्लयं पमोत्तूणं । अन्नो जइ मह देहे लग्गइ ता धरमु जंघाहिं ॥ ६०॥ चिंते जाव जक्खो ईहा ऽपोहेहिं हरियहियओ सो । ताव सहस त्ति सा वि हु नीहरिया जंघमज्झेण ॥ ६१ ॥ क्खो टिओ चिलक्खो चिंतइ पावाए कहमहं छलिओ | अहव महिलाण चरियं दुविनेयं सुराणं पि ॥६२॥ ससुरो चिन्तेइ जहा कलंकिओ पेच्छ कहमहमिमीए | अहव महिलाण चरियं दुब्विन्नेयं सुराणं पि ॥ ६३ ॥ कमसईए होउं सत्तभावाओ रंजिओ सयणो । अहब महिलाण चरियं दुविन्नेयं सुराणं पि ॥ ६४ ॥ तूररवेणं सद्धि जाओ तीए महासईसहो । ससुरो वि य अयसेणं वसीकओ सह अवक्खाए || ६५ || निदाए समं नट्टा धणियं सेट्टिम्स मणसमाही वि । हरिसेण समं जाओ तीए कंतस्स पणओ वि ॥ ६६ ॥ ससुरो वि पउरलोएण निंदिओ साहिऽणंदिया अहियं । संपत्ता समुरगिहे अहिययरं रंजिओ भत्ता ॥ ६७॥ सेट्टिम्स अवक्खाए निद्दा नट्ट त्ति नियुणिउ रन्ना । वाहरिऊणं विहिओ महल्लओ निययअवरोहे ॥ ६८ ॥ तो तत्थ निरिक्ख सेट्टी अंतेउरीणमेगयरिं । उट्टंतिं निसियंति तल्लुव्वेल्लिं करेमाणिं ॥ ६९॥
तो सो चिंतइ सेट्टी एसा किं कुणइ ? जाणणनिमित्तं । पावरिऊणं पडयं मुत्तो सो अलियनिहाए || ७० || जाव निहु निरिक्खड़ ता पेच्छइ मत्तवारणतलम्मि । खंभम्मि मत्तवारणमागलियं मिंटपरिकलियं ॥ ७१ ॥ रयणीए अंधयारे हत्थी मिंठेण चोइओ संतो। उड्ड काऊण करं उत्तारइ रायवरपत्ती ॥७२॥
किं तुह महई वेल ? त्ति जंपिडं भारसंकलाए हया । मिंटेण भणइ देवी न मज्झ दोसो परं किंतु ॥७३॥ रना जो पाहरिओ विहिओ सो सामि ! सुयइ न कहिंपि । सुत्तम्मि तम्मि संपइ समागया तुह समीवम्मि ||७४ || रमिऊण तं जहिच्छं मेल्लावड़ करिकराओ सट्टाणे । तं सव्वं अवलोइय सवियक्को चितए सेट्टी ॥ ७५ ॥ जत्थ नरनाहमहिला विविपयारेहिं रक्खियाओं वि । एवं कुत्र्वंति जए का गणणा इयरनारीणं ? || ७६ || अविव कत्था जाण पुरंधीओ निग्गया बाहिं । नीराईण निमित्तं नियगेहेसुं नियत्तंति || ७७ || इय चिंतिउं पत्तो विगयअवक्खो तहा कहवि सेट्टी | सूरुग्गमे वि न जहा पडिवुज्झइ जग्गवंताणं ॥७८॥ बिल्ला पाहरिया तत्तो साहिंति राइणो गंतुं । देव ! नवल्लमहल्लो न य उट्टइ सूरउदए वि ॥ ७९ ॥ रन्ना तो आणतं पडिवोहह मा तयं सुयउ कामं । सो वि जह एगदिवस तह सुत्तो सत्त दिवसाणि ॥ ८० ॥ सत्तमदिणम्मि वृद्धो वाहरिओ राइणा तओ सेट्टी । किं तुह अणन्नसरिसा समागया एरिसा निद्दा ? ॥ ८१ ॥ तो सेट्टिणा विभणियं एतं कुणह जेण साहेमि । नरवइनयणुक्खेवा एगंते जाइ सव्वसहा ॥ ८२ ॥ तो साहइ तं सव्वं सुणिउं रन्ना विसज्जिओ सेट्टी । तक्कहियजाणणत्थं राया अंतउरे गंतुं || ३ || सव्वाओ ताओ अंतेउरीओ एगत्थ मेलिडं भणइ । जह अज्ज मए दिट्टो सुमिणो रयणीविरामम्मि ॥ ८४ ॥ गयनिवसणाहिं भवईहिं लंघियन्बो किलिंजमयहत्थी । ता सच्चसुमिणयं तह करेह जह होइ मह खेमं || ४ || घंति तव तयं अवराओ सा य कुडिलहिययत्ता | जंप बीहेमि इमाओ दढमहं हथिरूवाओ || ८६ ॥ तो नरवणा हसिउ लीलाकमलेण ताडिया संती । पडिया सहस त्ति महीयलम्मि सा अलियमुच्छाए ||७|| पंच्छ य पट्टिभायं संकलसलसंजुयं तओ राया । तव्वइयर जाणावणनिमित्त मेसो पढ गाहं ॥ ८८|| मत्तगयमारुहन्तिए ! भिंडमयम्स हत्थिम्स बीहंतिए ! । तत्थ न मुच्छिय संकलाहया ! एत्थ य मुच्छिय उप्पलाया ॥८ तो कोवकुरियअहरो राया वज्झाणि तिन्नि वि इमाणि । आणवइ सावराहे मिठं देवि करिंदं च ॥ ९० ॥
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