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आख्यानकमणिकोशे
अमरहिं य सा विहिया सव्वालंकारभृसियावयवा । पहयमहिरेणु उदयं वुटुं हरिचंदणुम्मीसं ।। ५१ ॥ मुक्काइं अइभरेणं दसद्धवन्नाइं सुरहिकुसुमाई। पह्याओ दुंदुहीओ चेलुक्खेवो कओ परमो ॥ ५२।। घुटं च 'अहो दाणं' गयणे सक्को समागओ तुट्टो। कोडीओ अद्धतेरस तहिं सुबन्नम्स वुट्टाओ ।। ५३ ।। गायति य नच्चंति य वायंति पटंति तह य मुंचति । उक्किट्टिनायममरा पारणए तम्मि वीरम्स ।। ५४ ॥ जाओ पुरे पबोसो चंदणबालाए पुन्नकलियाए । पाराविओ मुर्णिदो धणावहो तो समावन्नो ।। ५५ ।। राया मिगावई वि य नंदाऽमच्चो य आगया तत्थ । दट्टुं पारणमहिमं परमपमोयं गया सव्वे ॥ ५६॥ दहिवाहणम्स रन्नो संपुलओ नाम कंचुइज्जो उ । बंदित्तेणाऽऽणीओ सो पेच्छिय चंदणकुमारि ॥ ५७ ।। चलणेसु पडिय रोवइ रन्ना पुट्टो य का इमा कन्ना ?। दहिवाणम्स रन्नो एसा धूय त्ति सो आह ॥ ५८ ।। तं आलिंगिय पभणइ मिगावई एस भइणिधूया मे । राया हिरन्नवुट्टि गेण्हंतो वारिओ हरिणा ॥ ५९ ।। जस्सेसा भो ! वियरइ तम्स इमा होइ पुच्छिया सा य । तायम्स मए दिन्नं हिरन्नमेयं ति सा भणइ ।। ६०॥ सक्केण निवो भणिओ एसा वीरस्स सिम्सिणी पढमा । होही चरमसरीरा केवलनाणम्मि उम्पन्ने ॥ ६१ ।। ता संगोवाहि तुमं परिवालमु आयरेण परमेशं । रन्ना तह त्ति भणि कन्नतेउरगिहे नीया ॥ ६२ ॥ मूला धणावहेणं निच्छ्ढा धाडिया तह जणणं । निदित्त खिसित्ता विगोइया नयरमज्झम्मि || ६३ ।। सा वि हु चंदणवाला उप्पन्ने केवलम्मि वीरम्स । संविग्गा पव्वड्या ठविया य पवित्तिणिपयम्मि || ६४ ॥ ता एसा इहई चिय जाया कल्लाणभायणं तत्तो । उप्पन्नविमलनाणा संपत्ता सासयं ठाणं ॥६५॥ एयं च चंदणज्जाकहाणयं सुत्तकारिकविरइयं । सव्वं तयक्खरं चिय गुरुबहुमाणाओ लिहियं ति ॥६६॥
॥चन्दनार्याख्यानकं समाप्तम् ॥१०॥ इदानीं मूलदेवाख्यानकमारभ्यते । तच्चेदम्
पउरपुर-गरुयपव्वयफणिवइकयभार भारहे वासे । अस्थि विदेहाविसए कुसुमपुरं नाम नयर-न्ति ॥१॥ दीसंति जत्थ निच्चं नरमणिसंदोहभूसियाऽऽवासा । नयनायसंपयपओ नयपरमो नरवई तत्थ ॥२॥ विक्खायसयलनरवइसिरोमणी कुसुमसेहरो नाम । दुव्वारवइरिवारणनिवारणा जस्स भुयदंडा ॥३॥ जम्मि जयलालसम्मिं वसुंधराभारमुब्वहंतम्मि । उत्तिन्नभरो कमढो रइहलीलं समुन्वहइ ॥ ४ ॥ सयलंतेउरसारा विसालकुलसंभवा विसालच्छी । नियरबोवहसियतियसमुंदरी मुंदरी भज्जा ॥ ५ ॥ तीए सह विसयसोक्खं अणुहवमाणस्स तम्स मुहियस्स । अइकमइ कोइ कालो रज्जधुराधरणधवलस्स ॥ ६॥ कालेण समुप्पन्नो पुन्नज्जियसव्वसुंदरावयवो । मुहसुमिणसूइयासेसलक्खणजुओ सुओ तस्स ॥ ७॥ कयमूलदेवनामो सुललियकरपंचधाइदुल्ललिओ । पणइयणमणभिरामो स बालभावं अइक्वन्तो ॥ ८॥ निम्सेसकलाकुसलो विलसिरलायन्नमणहरसरीरो । तरुणियणमणभिरामं संपत्तो जोव्वणारंभ ॥ ९॥ अह अन्नया कयाई अणगभडकाडिसकडत्थाणे । जा चिठ्ठ नरनाहो ता पडिहारेण विन्नत्तं ॥ १० ॥ पहु ! पउरपउरलोगो रायदुवारम्मि चिट्ठ निसिद्धो । पहुपायपउमदंसणसमुस्सुओ को समाएसो ? ॥ ११ ॥ अह भणइ नरवरिंदो दसणावलिकिरणधवलियदियन्तो । रे ! झत्ति तं पवेसमु मह पुरओ पउरपुरलोयं ।। १२ ।। नरवइआएसेणं पवेसिओ विहियउचियसम्माणो । धरणीयलमिलियनिडालमंडलो पणमिय निविछो ॥ १३ ॥ तो भणइ नरवरिंदो कि मह दंसणसमुम्लुओ लोओ । परचक्क-चोर-चरडाइडामरं किं नु मह रज्जे ? ॥ १४ ॥ किंवा को विहु असरिसपसायसंपत्तिदाणदुल्ललिआ। कुणइ पराभवमासंघिआ जणी रायउलठाई॥ १५ ॥ एवं जाव पयंपइ नरनाहो विहियपणयसम्माणो । ता मउलिमिलियकरकमलसंपुडो पभणए सेट्ठी ॥ १६ ॥
१. भूसिया बाला-रं०। २. निविटों-रं०। ३. प्रासंचित्र-विश्वस्त ।
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