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व्यर्थ की कहासुनी करना 797
की लिअ; दे. इआले 3204) कील ठोंकना; किड़क अ. अनु. (दे. पृ. 528, मा. हि. को.) वश में करना. गुज.खील 'सीना' 812 खिसक या हट जाना 798
कुंचल स. दे. 'कुचल' 813 किडकिड़ा अ. दे. 'किटकिटा' 799
कुदेर स. ना. भव (कुदेरा संज्ञा; सं. कुन्दकार; किर अ. देश. किसी चीज में से उसके छोटे दे. इआले 3297 ) खरादना, छीलना 814 छोटे कण धीरे धीरे गिरना 800
*कुभिला अ. देश. कुम्हलाना 815 किरकिरा अ. ना. अनु. (किरकिरा विशे.) किरकिरे कुकड़ अ. ना. भव (कुकड़ संज्ञा; कुक्कुट; प्रा.
खाद्य पदार्थ का मुँह में किरकिर शब्द करना; कुक्कुड; दे. इआले 3209) मुरगे की तरह किरकिरी पड़ने की-सी पीड़ा करना. तुल. गुज. दब या सिकुड़ जाना 816 करकरुं विशे. 801
*कुच अ. सम. (सं. कुच् ; दे. इआले 3221) किररा अ. अनु. (दे. पृ. 531, मा. हि. को.) सिकुड़ना; किसी वस्तु का कोचा जाना 817 क्रोध आदि से दाँत पीसना; 'किरकिर'
कुचकुचा स. अनु. बारबार हलके हाथों कोंचना शब्द करना. तुल. गुज. करड 'काटना' 802
818 किरिर अ. देश. किचकिचाना 803
कुचल स. दे. 'कुच' किसी भारी चीज़ से दबाना; किरोल स. देश, कुरेदनाः खुरचना 804
रौंदना. तुल. गुज. कचर 819 किलक अ. देश. 'किलकिला' 805
कुटना स. ना. भव (कुटनी, कुटना संज्ञा; सं किलकिला अ. ना. भव (किलकिल संज्ञा; सं. कुट्टणी; प्रा. कुट्टणी; दे. इआलें 3240)
किलकिल; प्रा. किलकल ; दे. इआलें 3160) कुटने या कुटनी का स्त्रियों को भुलावा देकर किलकिल ध्वनि करना 806
कुमार्ग पर ले जाना. तुल. गुज. कुटणी संज्ञा किलबिला अ. देश. (अ. व्यु. दे. पृ. 107; हि.
820 दे. श.) चंचल होना; बहुत से कीड़ों आदि कुड़क अ. देश. मुरगी का अंडे देना बंद करना; का छोटी-सी जगह में एक साथ हिलना- कुड़बुड़ाना. गुज. कूड 'कुढ़ना' 821 डोलना 807
कुड़कुड़ा अ. अनु. देश. (प्रा. कुरुकुरु; दे. पृ. किलस अ. भव (सं. क्लिश ; प्रा. किस्स् ; दे. 254, पा. स. म.) मन ही मन खीझकर
इआलें 3623) दर्द होना: बिलख-बिलख कर अस्पष्ट रूप से बड़बड़ाना; कुड़-कुड़ शब्द रोना गुज. कणस 808
करके पक्षियों आदि को खेतों से भगाना 822 कीक अ. अनु. 'की-की' आवाज़ के साथ
कुड़प स. देश. कँगनी के खेत को उस समय चीखना 809
जोतना जब फसल थोड़ी उग आये 823 कीड अ. ना. अर्धसम (सं. क्रीड्) क्रीड़ा करना.
कुड़बुड़ा अ. दे. 'कुड़कुड़ा' 824
कुड़मुड़ा अ. दे. कुड़कुड़ा' 825 तुल. गुज. क्रीडा 810
कुड़ेर स. देश. (दे. पृ. 26, दे. श. को.) कीन स. भव (सं. क्री; प्रा. कीण् , दे. इआले राब के बोरों को एकदूसरे पर इस प्रकार 3594) खरीदना 811
रखना कि उनकी जूसी बहकर निकल जाय कील स. ना. भव (कील संज्ञा; सं. किल, प्रा. 826
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