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हिन्दी - गुजराती धातुकोष
सान (1) स. भव (सं सम् + धा; प्रा. संधा, संधू दे. इआले 12898 तथा 12924) गूँधना शरीक करना. गुज. साँध 'जोड़ना ' ( 2 ) स. ना. भव (सं. शान संज्ञाः प्रा. साण; दे. इआले 12383) सान पर चढ़ाकर धार तेज करना 4020
* साप स. ना. अर्धसम (सं. शाप संज्ञा ) शाप देना, कोसना, गुज. शाप 4021
. साल स. ना. भव (सं. शल्य संज्ञा, शल्; प्रा. सल्लिअ विशे; दे. इआले 2354) कष्ट देना;
चुभाना. गुज. साल अ. 4022
सास स. दे. 'ससि 4023
साह स. देश ग्रहण करना; लेना गुज. साह. 4024
सिंकोर स. दे. 'सकोड' 4025
सिंगार स. ना. भव (सं. शृंगार संज्ञा; प्रा. सिंगारिय विशे; दे. इआले 12593) शृंगार करना; सँवारना 4026
सिकुड अ. देश. (*सिक्क दे. इआले 13387) संकुचित होना 4027
सिकुर अ. दे. 'सिकुड़' 4028 सिटपिटा अ. अनु. देश (अ. व्यु. दे. पृ. 142,
हि. दे.श.) दब जाना; मंद पड़ जाना 4029 सिधा अ. भव (सं. सिधू प्रा. सिज्झू दे.
इआले 13407) जाना; मर जाना. गुज. सिधाव 4030
सिधार अ. दे. 'सिधा' 4031
सिनक स. देश. अन्दर से जोर की वायु निकालते हुऐ नाक का मल या कफ बहार करना
4032
सिपर स. दे. 'सुमिर' 4033 * सिमेट स. दे. 'समेट' 4034 *सिय (1) स. दे. उत्पन्न करना, रचना (2) स. देश. सीना 4035
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* सिर ( 1 ) स. ना. अर्धसम ( सं सर्जन संज्ञा ) सृजन करना. गुज. सरज (2) स. दे. 'सच' 4036
सिरा ( 1 ) अ. ना. भव. ( सील विशे; स.
शीतल विशे; प्रा. सीअल; दे. इआलें 12487) ठंडा होना तृप्त होना; स. ठंड़ा करना; धार्मिक अवसरों पर गेहूँ, जौ आदि को उगाई हुई बाले या पत्रियाँ किसी जलाशय में ले जाकर प्रवाहित
करना
(2) अ. ना. देश. (सिरा संज्ञा ) सिरे तक पहुंचना; निपटना; स. सिरे तक पहुँचाना 4037 सिसक अ. अनु. (दे. पृ. 376, मा. हि. को - 5 ) 'सीसी' ध्वनि करते हुए रोना, सुबकना. तुल. गुज, सिसकारो संज्ञा 4038 सिसकार अ. दे. 'सिसक' ; जीभ दबाते हुए वायु मुँह से इस प्रकार छोडना जिसमें सीटी का-सा 'सीसी' शब्द होता है; सीत्कार करना. गुज. सिसकार 4039
सिहर अ. ना. भव (सं. शिवा संज्ञा: प्रा. सिहर दे. इआले 12435 ) काँपना; भयभीत होना 4040
सिहला अ. ना. देश ठंडा होना, सरदी खाना
4041
सिहा अ. भव (सं. स्पृहः प्रा. सिंहू दे. प्र. 159, हि. दे. श.) ईर्ष्या करना: ललचना, तुल. गुज. स्पृहा संज्ञा 4042
सिहार स. देश (दे. पृ. 377, मा. हि. को - 5 )
तलाश करना; इकट्ठा करना 4043 सिहिक अ. देश. सूखना, फसल का सूखना 4044 सींग स. ना. भव (सींग संज्ञा; सं. शृङ्ग, प्रा.
सिरंग; दे. इआले 1258) चुराए हुए पशु पकड़ने के लिए उनके सींग देखना और उनकी
पहचान करना. तुल. गुज. सिंग संज्ञा 4045 सींच स. भव (सं सिच्; प्रा. सिंच्; दे. इआले 13394) पेड़-पौधों को पानी देना; छिड़कना गुज. सिंच, सींच 4046
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