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। वाचिका-मपमे और लोक के कल्याण के लिए धर्म की व्यवस्था देने वाले थे परिहन्त तीर्थङ्कर,
सिद्ध भगवान और मुनि-महात्मा प्राणीमात्र के लिए मंगलकारी हैं । लोक में उत्तम है पौर संसारी जीवों को शरण देने वाले हैं। उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
णमो अरिहन्ताणं, णमो सिद्धाणं, एमो पायरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं । चत्तारि मंगलम्, परिहन्ता मंगलम्, सिद्धा मंगलम्, साहू मंगलम्, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलम
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