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है, यद्यपि अभी तक यह योजना प्रारम्भिक अवस्था में है। इसके संयोजक भी चांदमल जी अग्रवाल है । 2- - महावीर माध्यमिक विद्या मन्दिर-
सम्यक ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री वीरचन्द जी मेहता ने अपने अथक प्रयत्नों से 'माध्यमिक विद्या मन्दिर' का उद्घाटन दि० 12 जून 75 को करवाया है । इसी प्रवसर पर 'राजस्थान जैन प्रतिमा ग्रन्थ' का विमोचन किया गया । यह संस्था एक मासिक पत्र 'महावीर नन्दन' प्रकाशित करती है ।
3 – विश्वविद्यालयस्तरीय छात्रावास -
एक विशाल छात्रावास एक सौ कमरों का निर्माणधीन है। इस छात्रावास का शिलान्यास महामहिम श्री मोहनलाल जी सुखाड़िया ने किया था। श्री मेवाड़ा तेरापन्थ समाज ने इस कार्य की भूमिका प्रस्तुत की और चार युवक कार्यकर्ता ने अपनी सेवायें समर्पित की। कमरा पद्धति के आधार पर व्यक्ति-व्यक्ति से प्रार्थिक अनुदान की राशियाँ प्राप्त की गई। काफी विपदाओं के बाद यह कार्य सफल मार्ग की और अग्रसर हैं । चार बड़े ब्लाकों का निर्माण होगा। जिनका अनुमानित व्यय दस लाख रुपये का है ।
4 - महावीर नाटिका (वैशाली का अभिषेक) -
पद्म श्री देवीलाल जी सामर, संस्थापक - निर्देशक भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर द्वारा कठपुतली नाटिका तैयार की है। इस नाटिका की देश के विभिन्न स्थानों में मांग की जा रही है और प्रदर्शित भी हो रही । हाल ही में जयपुर मोर बाडमेर में अधिक सफलता मिली है। श्री सामर साहब का यह मौलिक प्रयास निर्वाण शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में एक विशेष देन है । उदयपुर नगर में दि० 26-27 अक्टूबर 1975 के प्रदर्शनों से लाभान्वित होगा । इस नाटिका के विशेष श्राकंषण प्रसंग : माता त्रिशला को स्वप्न, इन्द्र द्वारा अभिषेक, शूल पाणी यज्ञ के उत्पात, चण्ड कौशिक दंश, केवल ज्ञान तथा भगवान के सन्देशों का सवमसरण प्रादि समावेश है ।
5- महावीर स्मारक
यह एक वास्तव में राष्ट्रीय स्तर पर महत्वाकांक्षी परिकल्पना है। जिसके विधान को पारित कर सार्वजनिकता प्रदान की है। भूखण्ड प्राप्ति, पंजीकरण व अर्थसंग्रह की विशाल समस्यायें सामने है · महासमिति ने जनमत की दृष्टि से प्रारम्भिक भूमिका प्रस्तुत की है। इसका प्रयास एवं निर्माण भागामी वर्ष में बल पकड़ ेगा, ऐसी श्राशा व्यक्त की जाती है । वैसे जिला प्रशासन स्तर की कार्यकारिणी समिति ने श्री जिलाधीश महोदय श्री पी० एन० भण्डारी की अध्यक्षता में दि० 7 नवम्बर 1974 को निर्णय लिया कि
'उदयपुर नगर में फतहसागर के ऊपर किसी पहाड़ी पर महावीर स्मारक बनाने का निर्णय लिया गया । उदयपुर नगर पर्यटकों का केन्द्र है अतः निर्मारण महोत्सव उदयपुर द्वारा यह स्मारक इस प्रकार से बनावे जो कि पर्यटकों के लिये एक प्राकर्षित बिन्दु उदयपुर के लिये हो सके व इससे समस्त जैन समाज के महावीर के जो सिद्धान्त है उसका दिन दर्शन कराये जावे । इस स्मारक को बनाने की जिम्मेदारी महावीर निर्वाण महोत्सव महासमिति ने ली जिसके संयोजक श्री भैरूलाल धाकड़ हैं । श्री मेरूलाल धाकड़ व श्री प्रतापसिंह मुरडिया जो कि नगर महासमिति के संयोजक, संयोजक स्मारक है । वे नगर महासमिति द्वारा इसकी योजना आदि बनाकर इस कार्य को सम्पादित करावें । इस
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