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________________ 17. लगा दिये जायेंगे। जयपुर में हाथ बनाने के भी परीक्षण चल रहे हैं और इसमें सफलता मिलते ही विकलांगों के हाथ लगाने भी प्राम्भ कर दिये जायेंगे। डा.पी० के० सेठी व डा) सुभाष कासलीवाल के तत्वावधन में एस०एम०एस० होस्पीटल मे प्रग प्रदान किये जा रहे हैं। इस समिति के संयोजक श्री होगवन्द जी वैद द्रव्य एकत्रित करने में पूर्ण प्रयत्नशील है। जैन चित्रकला, जैन वग्तुकला तथा जैनियों को राजस्थान की देन, विषयों पर 3 वृहद प्र-थों का निर्माण हो रहा है वल्पसूत्र के स्वलिम चित्रों की फोट कापी एवं उसके हिन्दी अंग्रेजी अनुवाद सहित, पुस्तक का प्रकाशन हो रह है। इस कार्य हेतु पाठ व्यक्तयों की एक साहित्य समिति का गठन हुप्रा है जिपके निम्नांकित सदस्य हैं :(1) श्री अगरचन्द नाहटा बीकानेर (2) डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल जयपुर (3) डा० मूलचन्द ठिा सरदारशहर (4) डा. नरेन्द्र मानावन जयपुर (5) डा० प्रार. सी० अग्रगल जयपुर (6) श्री सम्पत कुमार गया जयपुर (7) श्री देवेन्द्रराज महता जपपुर (8) श्री जितेन्द्र कुमार जैन बीकानेर 18. सभी जिलों में जिलाघोगों की अध्यक्षत में जिला कमेटियों का गठन किया गया है। सभी जिलों के उत्साही कार्यकर्ता इस सदस्य हैं। सभी जिलों में बड़े उत्साह पूर्ण कार्यक्रम सम्पादित हो रहे हैं। 19. इन सभी कार्यो के लिए सरकार ने 15 ला हाये दिये हैं । 20. इस वर्ष में सरकार ने जिला चूरू व नागौर में हमेशा के लिए शराब बन्दी लागू कर, हमेशा के लिए र ज्य में शर ब बन्दी करने के मार्ग की तरफ कदम बढ़ाये हैं। 21. इस वर्ष में ही राज्य में हमेशा के लिए धमिक स्थानों में पशु ब ल निषेध बिल पास कर भगवान मह वीर के सि के उपदेश के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि उपस्थित की गई है। बिल प्रस्तुत करने हेतु विधयक श्री भीममिह जी एवं पारित करने में पूग योगदान देने हेतु मभी विध यक, विशेषकर मुख्यमंत्री जी, स्पीकर महोदय, शिक्षा मंत्री खे:सिंह जी, प्रशसा के पात्र है। 28. अनेकों स्कूलों, कालेजों व अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्यों हेतु सरकार ने रियायती दर पर भूमि प्रदान की है। उपरोक्त सरकारी सहयोग से होने वाले सभी कार्यों के लिए मुख्यमंत्री जी, श्री चन्दनमल जी वेद, श्री खेतसिंहजी गठौर, श्री डो० आर० मेहता. श्री पनगडिया जी, सचिवानम के सम्मन्धित कम गरीगण, सभी जिला के जिलाधोश जिलों के सम्बधित कर्मचारीगण एवं अन्य सभी व्यक्ति जिन्होंने इस समारोह को मनाने में सहयोग दिया है, वे सभी प्रशसा के पात्र हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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