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तीर्थंकर महावीर
ईसा सू 600 बरस पहला का भारत में कित्ता ही छोटा-बड़ा राज हा । इन राजन में सू कुछेक में तो राजान को राज हो मौर कुछेक में कुछ जन प्रतिनिधियान को राज हो । इन दूसरा तरहा का राजन कू हम गग राज कह सकें हैं । इनी गणराजन में एक राज हो 'लिच्छवी गण राज' । इ राज आज का बिहार राज को ही एक हिस्सो हो । या की राजधानी वैशाली नगरी ही । या राज में भाठ क्षत्रिय कुलन का प्रतिनिधि मिलके राज करे हा । या सू वा सभी राजा कहलावा हा ।
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या वैशाली नगर को ही एक उपनगर हो कुण्ड ग्राम या कुण्डलपुर । कुण्डलपुर को अविपति राजा सिद्धार्थ हो । या की राणी त्रिशला देवी ही । इण दम्पत्ति के यहां ही ईसा से 599 बरस पहला की चैत सुदी तेरस कू एक होनहार बालक पैदा हुयो जो मांगे चलकर संसार में तीर्थंकर महावीर का नाम सू विख्यात हुयो ।
महावीर को पहला को नाम 'वर्धमान' हो । या नामकरण के पीछे भी एक रोचक किस्सो है । कह्यो जाय कि जा बरस महावीर को जनम हु वा बरस सबडा राज में चारु और सुख-समृद्धि को aaraरण बन गयो हो; खुद उनका परिवार की 'सुख-समृद्धि बढ़ोतरी पर ही, सो बालक को नाम 'वर्धमान' रख दियो गयो ।'
वर्धमान बड़ी तेजस्वी और कुशाग्र बुद्धि वालो बालक हो । ऊ बड़ी स्वस्थ, सुन्दर और अतुल बल को धारक हो । निडरता वा का वा सुभाव में कूटकूट कर भरी ही । बचपना का वा का ऐसा किस्सा जैन धार्मिक पुस्तकन में वरिणत हुया हैं जिनसू वा
-श्री महावीर कोटिया की अतुलित वीरता और अद्भुत निडरता प्रकट
होवे हैं । म्रपणा या बीर सुभाव के कारण
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