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प्रजि इस जंवूदीप मंझारा हा अजि तहां क्षेत्र भरत सुख कार हो । अजि तहां सोरठ देस सुहावै हां मजि तहां नगर द्वारका वसायो हो ।3। प्रजि तहां वस छप्पन कोटि जादो जरासिंधु संहारिया । जब चक्र प्रायो हाथ हरिक सबन मंत्र विचारिया ।। प्रजि जादौ वंस कुल में को बली है सो परिच्छा लीजिए। बल सबन को इक तोलिक तब राज इक छन कीजिए 141 प्रजि कोई कहै पांडव भारी हां, अजि जिन फौज सवै संहारी हो। प्रजि कोई कोई बलभद्र वतावै हां अजि कोई कृष्ण कुवर जस गावं हां ।।। पनि कोऊ कहै संसार में श्रीकृष्ण से जो को बली। जिन संख पूखो धनुष चढ़ायो नाग सय्या दलमली ।। राखो गोवर्धन सिखर ऊपर कंस कू छिन में हत्यौं । भुव लोक में बल सवन जाग्यो कहो याम का मती 18। प्रजि बलभद्र तवं उठ बोल हां, अजि तुम बालक करत किलोले हो । मजि ये वातें कछु न सुहाई हां, अहो प्रभु नेमबली सम को है हां ।। को है बली प्रभु नेम जिनसों को है कहो त्रिलोक में । ए इन्द्र चन्द्र धरणेन्द्र चक्री सुर असुर के थोक में।। कोई कर सूखी क नवै मंगुली सकल जो धाइल ।
जोरवान वली हम गिण वाकू देहि नैक निवाईकै ।8। xxxxxx
लागे जु ब्राह्मण वेद बोलन भाट विरुदावली पढ़ । चिर जिवो नेमि जिनेन्द्र दुल्हो यह जोरि जुग जुग वढ़ ।3। अजि प्रोहित को देई विदाई हां, अजि प्राभूषण जड़त जाहां। अजि दीने अनमोल दुसाले हां, अजि दीनी ग ज मुतियन माला हो.1371 ोने दुसाले घोड़ा जोड़ा हाफि. ऐस्वतः बरखा। देश पट्टण गाम दीन और दीने रथ पखां ।। इह भांति और अनेक दीन बसन पाटंवर नए । सनमान करि दीनी विदाई प्रोहित अजांची हो गये 1381 अजि सुभ दिन को लून छुवायो हां, अणि सब परिवार बुलायो हो । पजि बंदीजन सब मिल पावै हां अजि आदर सू पहरावै हां ।391 पहराया प्रादर सू सबै मिल परवार नै पाया। बोलि बोल जाबका सभ कामिनी और मायाः।। मंगलाचार भया जिमका कुटुम्ब के मन भाइयाः । त्रैलोक्यपति के तिलक हुवी लाल मंगल गाड्या 1401 इति वर्ष मंगल प्रजि चंदन के खंभ मड़ाए हां अजि सों मांगम बीच गड़ाए हां । अजि ऊचा कर मंडप छायो हां, अजि वद्रोपत सरस बनायो हां।।41।
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