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मानवतावादी संत कबीर ने भी यही कहा भीतर एक दूसरे के विनाश की भूमिका तैयार की पा
जा रही है। छोटे राष्ट्र बड़े राष्ट्रों की विनाश| "जो तोकू काँटा बुवं, ताहि बोय तू फूल ।।
कारी क्रीड़ा की आशंका मात्र से भयाक्रांत हैं। तोकु फूल को फूल है, बाँको है तिरसूल ।” ।
, वैयक्तिक, सामाजिक, प्रादेशिक, राष्ट्रीय और
। अंतर-राष्ट्रीय सभी क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में बाइबिल में भी कहा गया है : शत्रुओं से प्रेम हिंसा का वर्चस्व छाया हुआ है। करो। जो तुम्हें शाप देते हैं, उन्हें आशीर्वाद दो। जो तुम्हारे साथ घुणा का बर्ताव करते हैं उनके
ऐसे वातावरण में मनीषियों को सूक्तियां घावों हित के लिए ईश्वर से प्रार्थना करो। महावीर, पर मरहम का काम करती हैं। तिरुवल्लूबर बुद्ध, सुकरात, ईसा का जीवन इसी प्रादर्श के लिए भारतवर्ष के वे महान् शुभंषी संत थे, जिन्होंने समर्पित हो गया।
समस्त मानव जाति को प्रेम, मैत्री, शांति और वर्तमान युग में अहिंसा की कितनी प्रावश्य- अहिंसा का सदुपदेश दिया। दो हजार वर्ष पूर्व कता और उपयोगिता है, यह किसी से छिपी नहीं। दिये गये उनके संदेश का आज भी उतना ही विश्व सभ्यता विनाश की ओर बढ़ी जा रही है। महत्व है। वर्धमान का संदेश ही वल्लुवर का मंत्री और सौहार्द के उद्यान उजड़ते जा रहे हैं। संदेश है, जो संतप्त मानव-जाति को सदैव शांति भौतिक वैज्ञानिक प्रगति की प्राड़ में भीतर ही और प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।
सबसे बड़ी जीत .
जो सहस्सं सहस्साणं, संगामे दुज्जए जिणे। एग बिणेज्य अप्पाणं, एस से परमो जयो।।
-उत्तरा० 9134 जो मनुष्य दुर्जय २ मि में दस लाख योद्धाओं पर विजय प्राप्त कर ले उसकी अपे स्वयं अपने को जीतना सबसे बड़ी जीत है।
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