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नामक झील और ऋषि ताल तड़ागों का निर्माण कराया और समस्त उद्यान प्रतिस्थापित कराये तथा पतीस लाख प्रजा का रंजन किया। जायसवाल और बनर्जी ने शिवीर- इस साल शब्दों के पाठ का प्रत्यन्त सावधानीपूर्वक परीक्षण किया है । लेकिन इसके सिवाय कि खिवीर को एक ऋषि का नाम मान लिया जाय दूसरा कोई समाधान सम्भव नहीं है । प्रतीत होता है कि या तो उक्त ऋषि ने इस झील का निर्माण कराया प्रथवा उसके नाम पर इसका नामकरण हो गया ।
दूसरे शासनवर्ष में खारवेल का पहना विजय अभियान उस समय प्रारम्भ हुआ जब सातकचि की कुछ भी परवाह न करते हुए उसकी चतुरंगिनी सेना का प्रयाण हुआ जिसने कन्हवेना तट पर स्थित मूसिक नगर को बहुत त्रस्त किया । सातकरिंग ब्राह्मण सातवाहन वंश का एक शासक था । उसका अभिज्ञान इसी राजवंश के तृतीय शासक सातकरिण से किया गया है । कलिमवाहिनी सातवाहनों की राजधानी पहुंची जो मांध्रप्रदेश के बेलारी जिले में थी। इसीलिए खारवेल का यह सैन्य अभियान सातवाहनों की प्रतिष्ठा के लिये एक भीषण श्राघात समझा गया। मूसिक जाति का निवास दक्षिण भारत में था । संभवतः उनके देश की सीमायें पश्चिम दिशा में उड़ीसा के श्रासन्न निकट थी । प्रभिलेख में मूसिकदेश की राजधानी कन्हवेना
8. एपी० इण्डि०, खण्ड़ 20, पृष्ठ 83. भीष्मपर्व, प्र० 9
9,
(कृष्णवेणा ) के तट पर स्थित बताई गई है । इस नदी की पहचान प्राधुनिक कृष्णा नदी से की गई है जो महाराष्ट्र के सतारा जिले से निकलकर प्रांध्रप्रदेश के दक्षिण भाग में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है । खारेवल कृष्णा नदी के तट पर किसी लम्बे और अनिश्चित मार्ग से गया होगा । ऐसा प्रतीत होता है कि वह पश्चिम दिशा (पछिम दिसं) में चलकर कृष्णा नदी के तटपर पहुँचा । महाभारत', में मूसिकों का निवास दक्षिण भारत में बताते हुए उनका उल्लेख वनवासियों के साथ किया गया है । भरत के नाट्यशास्त्र 10 में मोसलों के अन्तर्गत तोसलों और कोसलों का वर्णन हुआ है। विष्णुपुराण 14 में स्त्रीराज्य के साथ मूसिकों का नाम माया है । वात्सायन के कामसूत्र की जयमंगला टीका 12 में मूसिकों का राज्य विन्ध्यपर्वत के पश्चिम में बताया गया है । मूसी नाम की एक नदी नलगोण्डर श्रीर कृष्णा जिलों की सीमा पर कृष्णानदी में मिलती है । उक्त नदी का उल्लेख राष्ट्रकूट गोविन्द द्वितीय के शक संवत् 692 के एक अभिलेख 13 में भी मिलता है । जायसवाल 14 का मत है कि मूसिकनगर इसी नदी के किनारे स्थित था । बनर्जी 15 का कथन है कि भूमिकनगर कुन्तल देश या वनवासी देश के दक्षिण की भोर था। वे उसका अभिज्ञान मुजिरिस के बन्दरगाह से करते हैं । किन्तु डा० सरकार 16 मुसिकनगर के स्थान पर इसका पाठ श्रासिकनगर करते हैं । उनके अनुसार असिक ऋषिक देश के
10.
13,27
11. विल्सन, 4, पृ० 221
12. कामसूत्र 20 5 27
13. एपि० इण्डि० खण्ड 6 पृ० 208.13
14.
ज० रा० ए० सो० 1922, पृ० 165 तथा प्रागे; इण्डि० एण्टि० 1923 पृ० 138 15. एपि इण्डि०, खण्ड 20, पृ० 84 टिप्पणी 21
16.
एज ग्रॉफ ईम्पीरियल यूनिटी, पृ०
213
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