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का निर्वाण पावापुरी में हुमा । उस समय वे 72 समीप अनेक प्राचीन टीले हैं। टीलों से ठीकरों, वर्ष के थे अनेक विद्वान बिहार प्रदेश के वर्तमान सिक्कों, मूर्तियों आदि के रूप में पुरातत्व की नालंदा जिले में स्थित पावा को प्राचीन पावापुरी प्रचुर सामग्री मिलती है । जैन साहित्य में प्राप्त मानते है । परन्तु उसे प्राचीन नगरी मानने में एक. भौगोलिक तथा अन्य विवरणों के आधार पर कठिनाई यह है कि वहां बहुत प्राचीन पुरातत्वीय देवरियां जिले के इस स्थल को ही प्राचीन पावा अवशेष,नहीं मिले हैं। विद्वानों का दूसरा वर्ग प्राचीन मानना ठीक प्रतीत होता है। यहां सम्यक् रूप से पावापुरी की स्थिति उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में पुरातत्वीय उत्खनन बहुत प्रावश्यक है । इससे एक मानता है। इस जिले के फाजिलनगर तथा सठि- विवादग्रस्त समस्या पर अपेक्षित प्रकाश पड़ने की यांव नामक गांवों के मध्य भासमानपूर और उसके सम्भावना है।
प्रात्म-दमन
अप्पा चेव दमेयम्बो अप्पा हु खलु दुद्दमो । अप्पा बंतो सुही होइ अस्सि लोए परत्थ य॥
-उत्तराध्ययन सूत्रः १-१५
आत्मा का ही दमन करना चाहिये, निश्चय से प्रात्मा ही दुर्दमनीय है। प्रात्मजयो ही इस लोक और परलोक में सुखी होता है ।
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