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बाल महावीर स्तवन ----श्री अनोखीलाल अजमेरा, इन्दौर
जगिये, वैशाली नंद, बाल वृद ठाड़े त्रिसला मां हरसी हरसी प्यार से पुकारे । जागिये। भोर भई कुजन में कोकिला पुकार रही, द्वारे स्वर शहनाई भैरवी गुजाय रही। अरुण स्वर्ण रश्मि, बालचन्द्र को निहारे । जागिये । मधुर मधुर मुसक, सिसक, नैन नहिं भरे अबस । मचल, मचल, हाथ पटक, पांव को पसारे । जागिये । मां मुख निहार रही, हाथ को बढ़ाय रही, नट खट महावीर को, चट चूमिके उठाये । सखिये सब दौड़ पड़ी, लाल लेवे को होड़ पड़ी, गोरस, गिलास कोऊ, मोहक बढ़ाये । जागिये । झूमि, झूमि सखियें, महावीर को उठाय रहीं, मचल उठे झट पट स्नेह से पुचकार रहीं। अंगुली पकर मात संग, तात पास लाये । जागिये। ठुमरू ठुमरू चलत चाल, साथ लिये देव बाल, निरखत अनोखी छटा, बलि बलि हम जावें । जागिये ।
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