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श्री निर्वाण क्षेत्र वंदना
ले० लाडली प्रसाद जैन पापडीवाल, स० माधोपुर श्रावो बन्धु तुम्हें सुनायें गाथा श्री निर्वाण की । उस भूमि को नमन करो, जो है जीवन कल्याण की ।। भारत के उत्तर में देखो, पर्वत एक विशाल है । गंगा सिन्धु नदियां बहतीं हिमगिरि का परपात है ।। मुकुट सरीखा शोभा देता, भारत दिशि के भाल पर । मानव जो गुण गाता इसका भृषभ देव के नाम पर । कैलाश शिखर है याद दिलाता, इन ही के निर्वाण को "प्रावो बन्धु ।।1।। ये देखो पश्चिम में भाई जहां देश सौराष्ट्र महान । नेमि प्रभू ने ध्यान लगाकर, यहीं किया पातम कल्याण ॥ एक शिखर है शोभा देता, जूनागढ़ के निकट महान । उसी शिखर गिरनार के ऊपर, राजमती ने किया प्रयाण ।। उर्जयंत यह याद दिलाता, नेमी के निर्वाण की""प्रावो बन्धु ।।2।। ये देखो पूर्व की लाली चमकी जो जहान में । इसी दिशा में बिहार प्यारा, चमका हिन्दुस्तान में ।। कोना कोना इसका देखो, चमकाया भगवान ने । वासुपूज्य ने ध्यान धरा था, चम्पापुर उद्यान में ॥ जन्म भूमि है यही हमारे श्री वासपूज्य भगवान की"उस भूमि ॥3॥ ये देखो सम्मेद शिखर का कितना ऊंचा पर्वत है । ऐसा लगता मन को मानो, भरा इसी में अमृत है । इसी शिखर के टोंक टोंक पर, चरण चिन्ह है शोभते । बस तीर्थकर मोक्ष पधारे, किया गमन इह लोक ते ।। सिद्ध भूमि है याद दिलाती, तीर्थकर बीस महान की.."इस भूमि 14॥ पावापुर का जल मन्दिर यह, रखता अपनी शान है। देख देख कर तृप्त न होता जो गया वहां इन्सान है। जिन मन्दिर में शोभा देती प्रतिमा श्री महावीर की। छत्र स्वयं है उस पर फिरता, ज्योति देखकर दीप की । ऐही पावापुर भूपि है महावीर निर्वाण की "इस भूमि ।।5।।
और अनेकों स्थल हैं ऐसे जहं तें मोक्ष गए भगवान । असंख्यात मुनि मोक्ष पधारे तिनका को कर सके बखान ।। उन सबकी हम करें बंदना, पावें अविचल मोक्ष निदान । लाड निर्मला कण कण पूजें, गा गा कर उनका गुण गान ।। शतक पंच विंशती पाई है, महावीर निर्वाण की"प्रावो बन्धु ।।6।।
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