________________
कैप्टिन सेठ सर मागचन्द सोनी
अजमेर दिनांक 22-10-75
सन्देश
मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि आप भगवान महावीर 2500वें परिनिर्वाण महोत्सव के अन्तर्गत दीपावली के पुनीत अवसर पर 600 पृष्ठीय 'महावीर स्मारिका' का प्रकाशन कर रहे हैं।
विश्ववंद्य भगवान महावीर के सार्वजनीन एवं सार्वकालीन दिव्य उपदेशों से प्राणी मात्र का आत्म कल्याण हुआ है । उन उपदेशों का मूल्य माज निःसन्देह सार्वजनीन महत्व रखता है। विज्ञान की चकाचौंध में दिग्भ्रमित जनता अध्यात्म के वैशिष्ट्य को भगवान महावीर की वाणी द्वारा ही उद्बोध प्राप्त कर सकती है ।
मुझे विश्वास है कि भगवान महावीर के विश्वोपकारी सिद्धान्तों का स्मारिका में समावेश होगा। अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अनेकान्त की राष्ट्रीय गरिमाका दिग्दर्शन समर्थ विद्वानों की लेखनी द्वारा कराया जावेगा।
स्मारिका के सुन्दर एवं सफल प्रकाशन के लिये मेरी अनेक मंगल कामनाएं।
(भागचन्द सोनी)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org