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(11)
शासन के द्वारा इन सबका हो सका कभी प्रतिकार नहीं, भय, दम्य, भेद से मानव के मिट पाये विषय विकार नहीं,
(12)
प्रतएव मारम पम पर चल कर साधना करूं सर्वश बनू, फिर ज्ञान प्रभाकर के द्वारा प्रज्ञान तिमिर कोर कर,
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लष बना दिगम्बर वेश वीर चल पड़े वीरता के पथ पर, मो कठिन तपस्या के द्वारा कर्मों से किया विचित्र समर,
..(14)
विजय इंदुमी बगी पहिंसा को फैली सुख शान्ति को लहर, जय महावीर की गूंज उठो .. मानन्द विभोर हुमा पर पर, ..
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