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श्रमणविद्या 218) जं जं खवेदि किट्टि ट्ठिदि-अणुभागेसु केसुदीरेदि ।
संछुहदि अण्णकिटिं से काले तासु अण्णासु ॥ 219) बंधो व संकमो वा णियमा सव्वेसु टिठदिविसेसेसु ।
सव्वेसु चाणुभागेसु संक्रमो मज्झिमो उदओ ।। 220) संकामेदि उदोरेदि चावि सम्वेहि द्विदिविसेसेहि।
किट्टीए अणुभागे वेदेंतो मज्झिमो णियमा ॥ 221) ओकड्डदि जे अंसे से काले किण्णु ते पवेसेदि ।
ओकड्डिदे च पुत्वं सरिसमसरिसे पवेसेदि । उक्कड्डदि जे अंसे से काले किण्णु ते पवेसेदि। .
उक्कड्डिदे च पुव्वं सरिसमसरिसे पर्वसेदि ॥ 223) बंधो व संकमो वा तह उदयो वा पदेस-अणुभागे।
बहुगत्ते थोवत्ते जहेव पुव्वं तहेवेण्हि ।। 224) जो कम्मसो पविसदि पओगसा तेण णियमसा अहिओ।
पविसदि ठिदिक्खएण दु गुणेण गणणादियंतेण ।। 225) आवलियं च पविठं पओगसा णियमसा च उदयादी।
उदयादिपदेसग्गौं गुणेण गणणादियंतेण ।। 226) जा वग्गणा उदीरेदि अणंता तासु संकमदि एक्का ।
पुवपविट्ठा णियमा एक्किस्से होति च अणंता ।। 227) जे चावि य अणुभागा उदीरिदा णियमसा पओगण ।
तेयप्पा अणुभागा पुव्वपविट्ठा परिणमंति ॥ 228) पच्छिम-आवलियाए समयूणाए दु जे य अणुभागा।
उक्कस्स-हेट्ठिमा मज्झिमासु णियमा परिणमंति ।। 229) किट्टीदो किट्टि पुण संकमदि खयेण किं पयोगेण ।
कि सेसगम्हि किट्टीय संकमो होदि अण्णिस्से ॥ 230) किट्टीदो किट्टि पुण संकमदे णियमसा पओगेण ।
किट्टीए सेसगं पुण दो आवलियासु जं बद्धं ॥ .. संकाय-पत्रिका-२
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