SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तविमारी १९९ गाहाकमो 199 295 165 38 227 163 33 210 110 109 228 86 290 56 पढम पादं जं सक्का तं कीरई जहरसि परणाई जाए वि जो पढिज्जा जाणतो पेछंतो जायइ णिवज्जदाणिहि जायदि अक्खयणिहि जिणवंदण गुणविणउ जिणवयणधम्मचेइय जिणवयणमेव भासदि जिणसासणस्स सारो जीव तुमं णवमासे जीवाजीवा आसवबंधजीवदया सच्चवयणं जीवियजलबिंदु समं जूयं मज्ज मंसं जे केइ वि उवएसा जे के वि गया मोवखं जे जिणणाहं मुहकम लि जेण मरतेण इमो जे पुण छज्जीववहं जेहि ण दिण्णं दाणं जो कुणइ जणो धम्म जो कुणइ मणे खंती जो गुणइ लक्खमेगं जो चिंतेइ ण वंक जो जीवदया जुत्तो जो जीव रक्खण परो जो ण कयं अण्णभवे जो णवि जादि वियारं जो दु ण करेदि कंख जो देइ अभयदाणं जो देइ अभयदाणं गाहाकमो पढ़मं पाद 195 जो देइ परे दुक्खं 50 जो पदह सुणह अक्खा 8 जो पस्सइ समभावं 289 जो परिहरेदि संगं 101 जो पहरइ जीवाणं 99 जो पुज्जइ अणवरयं जो पुणु जिणिदभवणं जो संतावइ अण दिह ठिदिकरणगुणपउत्तो 28 णटुट्ठपय डिबंधो 47 ण परो करेइ दुक्खं 80 णमियं जिणपासपयं 213 ण य किचि तस्स पहवइ 218 णहदंतसिरण्हारु 145 णाऊण दुहमणतं 126 णासाबहारदोसेण 20 णाणे णाणुवयरणे 234 णिग्घिण णिठ्ठर दुट्ठर 18 णिद्दा तहा विसाओ 197 णिबाओ ण होइ गुलो 265 णिविदिगिंछो राओ 211 णिस्संकियसंवेगाइ 209 णिस्संकिय संवेगाइ 15 णिस्संगो णिम्मोहो 31 णिसुणंतो थोत्तसए 216 तत्थवि सुहाई भुत्तं 34 तरुणिजणणयणमणहारि 55 तवसंजमणियमरहो तं सम्मत्तं उत्तं 82 ता देहा ता पाणा 202 तिविहं च जो विवज्जदि तेण इमो णिच्चम्मि य 24 271 198 151 115 229 79 201 85 114 133 287 277 285 140 27 77 246 37 212 तण इमा 6 संकाय पत्रिका-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014028
Book TitleShramanvidya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy