________________
१९८
पढ़र्म पार्द
एवं वारस भयं
एसो अणा कालो
एसो त वियरो
एसो दहम्पयारो ऐरावरहि पंचहि
ओहदाणेण ण
करचरणपिट्ठसिरसाणं
कल्लाणको डिजणणी
कस्सत्थि चिरा लच्छी
काउस्सग्गम्मि ठिओ
कायाणुरूवमद्दण
किवणेण संचियधणं
किं एस महारयणं
कि जंपिएण बहुणा
कि जंविएण बहुणा
कि जंपिएण बहुणा
कि दाणं मे दिण्णो
किं बहुणा भणिएणं किससि सुससि सुससि
कुसुमेहिं कुसेसयवयण
कुंथुंभरिदलमेत्ते
कोहं इह कच्छाउ
कोहेण जो ण तप्पदि
कोहो माणो माया
खणभंगुरे सरीरे
गहिऊणय सम्मत्तं
गंतूण निययगेहं
गाढपरिग्गह गहिउ गरु
गुरुपुरओ किदियमं
घणघाइकम्ममुक्का घंटा घंटसद्दाउलेसु
संकाय पत्रिका - १
Jain Education International
भ्रमणविद्या
गाहाको
161
19
294
41
17
238
130
217
257
164
121
256
12
63
139
111
280
73
59
पदमं पादं
घरवासे चा मूढी
इण मिट्टभोज
hasta freefere
100
108
279
चंदन सुयंधलेवो
चम्मं रुहिरं मंसं
चलणं वलणं चिंता
चितइ किं एवडतं
चितामणिरयणाह
छह
छ
छुह तहा भयदोसो
जइ णिव्बिउ दुह पवरिणि
जइ पइससि पायाले
जइ पाहिं संसइ चढहि
जत्थ पुरे जिणभवणं जलधाराणिक्खेवेण
जल्लो सहि सवसहि
जस्स ण तवो ण चरणं
जस्स दया सो तवसी
जस्स दया तस्स गुणा
अहि
जह उक्कस्सं तह
जह गेहेसु पल
जह नीरं उच्छुगयं
29
जं किंचि गिहारंभ
52
जं किचि णाम दुक्खं
226
जं किंचि परमतत्तं
72
जं किंपि पडियभिक्खं
177 जं चेव कयं तं चेव
233
171
3
104
जं दुपरिणामाओ
जं वज्जिज्जइ हरियं
जं मारेसि रसंते
जं रणत्तयरहि
For Private & Personal Use Only
गाहाको
44
36
254
98
270
297
278
13
105
78
232
57
231
219
97
138
152
215
214
11
178
225
242
186
205
14
193
58
119
183
49
251
www.jainelibrary.org