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________________ तच्चवियारी १५९ को माणिक्कणंदी का प्रथम शिष्य बताया है। दादागुरु का नाम रामणंदी तथा उनके गुरु का नाम विसहणंदी लिखा है ।१४ वसुनन्दि श्रावकाचार के सम्पादक ने वसुनन्दि द्वारा उल्लिखित श्रीनन्दि को रामनन्दि मान लेने का विचार व्यक्त किया है और नयनन्दि को वसुनन्दि का दादागुरु मानकर वसुन न्दि का समय बारहवीं शताब्दी का पूर्वार्ध अनुमानित किया है ।१५ समय निर्धारण के लिए उन्होंने कल्पना और अनुमान के अतिरिक्त कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किये। ___अब तक जितनी जानकारी प्रकाश में आ चुकी है उसके आधार पर वसुनन्दि का समय १२ वीं शती से पर्याप्त पहले होना चाहिए। इस सन्दर्भ में विचारणीय तथ्य इस प्रकार हैं--- (१) वसुनन्दि ने णयणन्दि को श्रीनन्दि का शिष्य बताया है। जबकि स्वयं नयन न्दि अपने को माणिक्यनन्दि का प्रथम शिष्य लिखते हैं ।१६ ऐसी स्थिति में मात्र नाम की समानता के कारण वसुनन्दि द्वारा उल्लिखित णयनन्दि को सुदंसणचरिउ का रचयिता मान लेना उपयुक्त नहीं है। (२) वसुनन्दि ने नेमिचन्द को णयनन्दि का शिष्य कहा है। गोम्मटसार के रचयिता नेमिचन्द सिद्धान्तचक्रवर्ती ने णयणंदि का कहीं अपने गुरु रूप से स्मरण नहीं किया। अन्य किसी प्रमाण से भी इस बात की जानकारी नहीं मिलती कि णयणंदि नेमिचन्द सिद्धान्तचक्रवर्ती के गुरु थे। इस तरह यह मान लेने का कोई आधार नहीं है कि वसुनन्दि द्वारा उल्लिखित नेमिचन्द और गोम्मटसार के कर्ता नेमिचन्द सिद्धान्त चक्रवर्ती दोनों एक ही व्यक्ति थे।। इस प्रकार वसुनन्दि के समय के विषय में आधार रहित अनुमान पर चली आ रही धारणा से मुक्त होकर उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करना होगा। वसुन न्दि ने समन्तभद्र के देवागम स्तोत्र पर देवागमवृत्ति लिखी है। देवागम पर भट्ट अकलंक ने आप्तमीमांसा भाष्य तथा विद्यानन्द ने आप्तमीमांसालंकृति नामक टीकाएँ लिखीं । विद्यानन्द ने अपनी टीका में अकलंक के भाष्य को सम्पूर्ण रूप से समाहित कर लिया है। १४. सुदंसणचरिउ, इन्स्टीटयूट ऑव प्राकृत, जैनोलॉजी एण्ड अहिंसा, वैशाली, सन् १९७० । १५. वसुनन्दि श्रावकाचार, प्रस्तावना पृ० १९ । १६. सुदंसणचरिउ प्रशस्ति । संकाय पत्रिका-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014028
Book TitleShramanvidya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size14 MB
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