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प्रतियोगिता का आयोजन प्रो. प्रवीणचन्दजी की संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि भगवान अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। जिसमें विभिन्न शिक्षण महावीर के उपदेशों के अनुसार आचरण द्वारा संस्थानों की छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । कुमारी ही विश्व सुख और शान्ति का मार्ग अपना मंजु प्रथम, श्री सुभद्र पापड़ीवाल द्वितीय तथा सकता है । रोहित मोदी तृतीय रहे।
इस अवसर पर पूज्य साध्वी श्री मणिप्रभाजी, __ 1 अप्रैल, 1977 को प्रातः प्रभात फेरी मुनि श्री रूपचन्दजी तथा प्राचार्य श्री संभवसागरजी निकाली गई जिसमें विभिन्न भजन मंडलियों ने के भी प्रवचन हुये । आचार्य श्री संभवसागरजी सक्रिय सहयोग दिया । रात्रि को लाल भवन में ने कहा कि धर्म किसी व्यक्ति विशेष का नहीं श्रीमती आशा गोलेछा की अध्यक्षता में एक परन्तु जो वैसा आचरण करे उसका ही है। महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुनिश्री रूपचन्दजी ने कहा कि श्वेताम्बर हा० चन्द्रकांता डंडिया ने विशिष्ट अतिथि के रूप में मन्दिर या दिगम्बर मन्दिर तो मिलते है पर जैन सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मन्दिर नहीं। श्री नाथूलालजी जैन सदस्य लोक विभिन्न महिला वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट सेवा आयोग ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मनुष्य किये तथा विभिन्न संस्थाओं ने भजन, नृत्य संवाद जन्म से नहीं वरन् पुरषार्थ से भगवान बनता है मादि के कार्यक्रम प्रस्तुत किये ।
और प्रत्येक प्राणी प्रयास द्वारा यह पद प्राप्त कर
सकता है। 2 अप्रेल 77 को प्रातः 61 बजे महावीर पार्क से एक विशाल जुलूस प्रारम्भ हुआ जिसमें लगभग रात्रि को 8 बजे एक वृहद साँस्कृतिक कार्यक्रम 25-30 हजार का जन समुदाय सम्मिलित हुआ। का आयोजन श्री रणजीतसिंहजी कुमट, जिलाधीश जुलस में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं एवं मंडलों जयपर की अध्यक्षता में किया गया जिसमें द्वारा भगवान महावीर के सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व मण्डलों ने बड़े ही व स्याद्वाद के संदेश से संबंधित झांकियां एवं एक आकर्षक नाटक, भजन और नत्य प्रस्तुत किये। सुसज्जित रथ में 'जिनवाणी' जुलूस के विशेष विशिष्ट अतिथि श्री हीराभाई एम. चौधरी ने इस पाकर्षण रहे । महिला मंडलों द्वारा एक ही वेश अवसर पर विजेतानों को पकार वितरित किये। भूषा में एवं पूर्ण अनुशासन बद्ध भजन प्रस्तुतीकरण भी एक भव्य आकर्षण रहा । जुलूस के दृश्य का (2) दशलक्षण पर्व समारोहःआँखों देखा हाल बड़े ही रोचक ढंग से श्री बुद्धिप्रकाशजी भास्कर ने प्रसारित किया।
भौतिकता के द्वन्द्व फन्द से व्याप्त एवं प्राकुलित
मानव को प्राध्यात्मिकता का रसास्वादन करा कर जुलूस नगर के प्रमुख बाजारों में होता हुआ शान्ति का प्राभास कराने की दृष्टि से प्रतिवर्ष की रामलीला मैदान में पहुंचकर एक सार्वजनिक सभा भाँति इस वर्ष भी भाद्रपद शुक्ला पंचमी से में परिवर्तित हो गया। सभा में कुमारी प्रीति चतुदर्शी तक मनाया गया। समारोह का उद्घाटन के मंगलाचरण के पश्चात् श्री मांगीलालजी जैन श्री त्रिलोकचन्दजी जैन, उद्योगमंत्री, राजस्थान न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, राजस्थान ने झंडा- ने किया। पं. अभयकुमारजी जबलपुर वालों ने रोहण किया। इस अवसर पर जन समुदाय को दश धर्मों पर प्रतिदिन मार्मिक प्रवचन एवं श्र
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