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महापुराण लिखी, जैनेन्द्रलघुवृत्ति, सामायिक पाठ विद्वान एवं साहित्यकार हुए, जिनकी कृतियों की भाषा, त्रिलोकसारपूजा, जिनस्तुतिपंचविंशतिका, संख्या दो अढाई सौ से ऊपर ही है। उपरोक्त 56 आदि की रचना की थी।
साहित्यकारों के अतिरिक्त भी कुछ हुए हो सकते - पन्नालाल गोधा 'मरकत' ने -1876 ई० हैं, और संभव है कि उल्लेखित विद्वानों में से दो (सं. 1933) में मरकतमणि विलास वनिका चार का सम्बंध जयपुर के साथ रहा न पाया लिखी थी, मरकतविलास, सम्यग्दर्शनचंद्रिका, जाय । उपरिसूचित नाम, कृति नाम, कृति संख्या, पाक्षिक श्रावक चन्द्रिका तथा जैन बालबोधत्रिंशतिका । तिथियों आदि में भी कहीं-कहीं त्रुटियाँ रही हो इनकी अन्य रचनाएँ हैं।
सकती है । तथापि जयपुर के तत्कालीन साहित्य ___ इस प्रकार जयपुर में उक्त डेढ सौ वर्ष (सं. सेवियों के प्रामाणिक इतिहास के निर्माण में यह 1725-1875 ई०) में पचास से अधिक श्रेष्ठ लेख प्रेरक हो सकता है ।
नारी
नारी पुस्तक नहीं कविता है उसे पढ़ा नहीं जिया जाता है कवि होने के नाते मैं तुम पर दोहरी कविता जीने की
* ममता मालपाणी ध्याख्याता : सी. पी. महिला कालेज
113, सराफा वार्ड, जबलपुर-2 मानसिकता नहीं थोपूगी पर इतना अनुरोध अवश्य करूंगीउसे दैनन्दिनी मत समझो जिस पर अपनी दिनचर्या का हिसाब लिख तुम पाराम से सो जाओं
और वह रात भर करवटें बदलती रहे
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महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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