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'खास मौहर संग्रह' में विभिन्न शासकों के समय में रचित एवं लिखित लगभग 8,000 पाण्डुलिपियां संगृहीत हैं । यह भण्डार राजाओं की खास मोहर या निजी सील में रहता था और यदा कदा ही खुलता था। महाराजा इसे खोलने का विशेष प्रादेश निकालते थे। उस समय या तो वे स्वयं अयवा उनके प्रतिनिधि और खास मोहर संग्रह के अधिकारी उपस्थित रहते थे । सील महाराजा के निजी अधिकार में रहती थी और प्रत्येक वस्तु के भीतर रखने एवं बाहर निकालने का लेखा-जोखा मुसरफ और तहसीलदार रखते थे । खाम मोहर अधिकारी अपने पंजीयन में प्रविष्टि-निविष्टि की काउन्टर एण्ट्री रखता था ।।
___ खास मोहर संग्रह के ग्रंथों के ढूढने के लिये पहले कोई पूर्ण और निश्चित सूची तैयार नहीं थी। इस विशाल संग्रह में सु क्षित पाण्डुलिपियों का मूल्यांकन सहज कार्य नहीं था। वस्तुस्थिति यह है कि सवाई माधोसिंह प्रथप (वि. सं 1807-1824) या उनसे पूर्व के शासकों से सम्बन्धित शासकीय वार्षिक विवरणों में मोटे रफ कागजों में इन ग्रंथों की प्रकीर्ण निविष्टियां मिलती हैं; जो अब बीकानेर में राजस्थान राज्य अभिलेखागार में संकलित है । सौभाग्य से अब इस संग्रह के ग्रन्थों की सूची श्रीयुत पं० गोपालनारायण बहराजी के सदप्रयत्नों से उन्हीं की पुस्तक "लिटरेरी हैरीटेज प्रॉफ दी रूलर्स अॉफ प्रामेर एण्ड जयपुर" में प्रकाशित हो चुकी है । राजाओं का निजी पुस्तकालय यही संग्रह है।
दूसरी 'पोथीवाना सग्रह' है जिसमें 2,200 पाण्डुलिपिया हैं । इसके ये ग्रंथ, संग्रह की स्थापना के पश्चात् खास मोहर संग्रह से स्थानान्तरित हुये हैं। इस संग्रह में पोथीवाने के कर्मचारियों द्वारा लिखित एव लिपिबद्ध ग्रंथों के अतिरिक्त विभिन्न समारोहिक अवसरों पर लेखकों, पंडितों, कवियों प्रादि द्वारा भेंट में प्राप्त एवं राजमाताओं, महारानियों, पड़दायतों एवं पासवान द्वारा क्रय किये गये ग्रंथ संग्रहीत हैं।
तृतीय 'पुण्डरीक संग्रह' में' 2,300 पाण्डुलिपियां हैं, जो सवाई जयसिंह प्रथम (वि० सं० 1756-1800) के गुरु रत्नाकर पुण्डरीक और उसके विद्वान् उत्तराधिकारियों द्वारा संकलित हैं। पोथीखाने में यह संग्रह महारा ना सवाई माधोसिंह द्वितीय (वि० सं० 1937-1979) के शासनकाल में प्राप्त एवं सुरक्षित किया गया था। बाद के दोनों भडारों की वर्गीकृत सूची उपलब्ध है परन्त प्रन्थों का सत्यापन कार्य प्रभी अपूर्ण है।
चतुर्थ 'म्यूजियम संग्रह' है जो सन् 1959 में महाराजा सवाई मानसिंह II द्वारा जनता के लिये खोला गया भण्डार है। इसमें प्राचीन प्रकाशित साहित्य एवं कलात्मक चित्र संगृहीत हैं जो दर्शनार्थ हैं।
इस प्रकार पोथीखाने के विभिन्न संग्रहों में लगभग 15,000 ग्रन्थ है जो संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, ब्रज, बगला, मराठी, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं में निबद्ध हैं तथा काव्य, न्याय, मीमांसा, व्याकरण, कोश, छन्द, अलंकार, नाटक, चम्पू, संगीत, कामशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्म, वेद, पुराण, इतिहास, तर्क, मन्त्र, भक्ति, जैन दर्शन, संग्रह, सुभाषित. योग, आदि विषयों से सम्बन्धित हैं।
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महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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