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5 - (ङ) विक्रान्त कौरव 19 / 36,
मैथिली कल्याण 39 38, मैथिली कल्याण 45 / 10,
6 - (च) विक्रान्त कौरव 46, 6, साहित्य ( विहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना ) वर्ष 12 अंक 2, लेख-जैन आगमों में कथा साहित्य का वर्गीकरण ले. श्री ज्ञानचन्द, समवायांग सूत्र में कथायें दो प्रकार की बताई गई हैं । (1) चरित और (2) कल्पित । चरित से तांत्पर्य सच्ची कहानियों से है । 10. नाट्यं भिन्नरुचजनस्य बहुधाप्येकं समाराधनम् ( मालविकाग्निमित्र )
एक सत्य का हाथ बहुत है
9.
2-84
सौ-सौ पीड़ा-शर सहने को एक तुम्हारा प्यार बहुत है एक किरन हो, लाख अन्धेरा जीने का आधार बहुत है,
115, सराफा वार्ड जबलपुर - 2 (म. प्र. )
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सारे जग को ठुकराने दो एक तुम्हारा द्वारा बहुत है हीरे मोती छल जाने दो फूलों वाला हार बहुत है
● श्री भवानीशंकर
लगा रहे धरती पर पहरा उड़ने को श्राकाश बहुत है बन्द हवाएं हो जाने दो पंखों पर विश्वास बहुत है
तीखे शूलों पर चलने को प्राण, तुम्हारा साथ बहुत है झूठी दुनिया से लड़ने को एक सत्य का हाथ बहुत है
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महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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