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22. हरिवंशपुराण, 21/104-110 23. हरिवंशपुराण, 18/171 24. हरिवंशपुराण, 61/23, 61/51, 61/36, 61/25 25. हरिवंशपुराण, 36/27-28 26. हरिवंशपुराण, 8/50 27. हरिवंशपुराण, 48/14, 46/3, 21/54-62 28. हरिवंशपुराण, 55129, 14/21 29. हरिवंशपुराण, 55151-55 30. हरिवंशपुराण, 24/8, 11/84. 36/41-43 31. हरिवंशपुराण, 21/76 32. हरिवंशपुराण, 34/52-55 33. हरिवंशपुराण, 34157-58 34. हरिवंशपुराण, 34/90, इस व्रत में कृष्ण प्रतिपदा के दिन से चन्द्रमा घटने के साथ
साथ प्रतिदिन एक एक ग्रास भोजन घटाते हुए अमावस्या के दिन पूर्ण निराहार रहा जाता है. और शुक्ल पतिपदा को एक ग्रास भोजन लेकर प्रतिदिन एक एक ग्रास बढ़ाते हुए पूर्णिमा के दिन केवल १५ ग्रास पाहार लिया जाता है। इस प्रकार यह
व्रत एक मास में पूर्ण होता है । 35. तत्वार्थ श्रद्धानम् सम्यग्दर्शनम् तत्वार्थ सूत्र-1/2
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महावीर जयन्ती स्मारिका
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