________________
1- पाण्डेय दीनबन्धु-सर्वतोभद्रप्रतिमा, यू० पी० म्यू० वुलेटिन वाल्यूम 9 ।
2- भरतपुर, उदयपुर, कौशाम्बी, भीटा का यक्ष० ल० संग्र० शुङ्ग । 3- शाह यू० पी० 'जन अनुश्र ति एण्ड समरिसेंट डिस्कवरी इ7 जैन आर्ट डा० मोतीचन्द्र __ मेमोरियल लेक्चर दिस० 1977 म्यू० एशो० ग्राफ बंगलोर इण्डिया ।
4- शर्मा, रमेशचन्द्र-~-'मथुरासंग्रहालय की कुषाणकालीन जैन मूर्तियाँ, जैननिबन्धमाला
पृ० 22 अानन्द संस्थान रामपुर 1977 ।
5-- जे--230 रा० संग्र० ल० । 6-- जोशी नीलकण्ठ पुरुषोत्तम तथा रस्तोगी शैलेन्द्रकुमार 'कंकाली की पुरा सम्पदा' ___ जैननिबंधमाला पृ० 83 प्रानन्द संस्थान रामपुर 1977 । 7-- शाह यू० पी० जैन • अनुध ति एण्ड समरिसेंट डिस्कवरी इन जैन पार्ट-वही संदर्भ-3 । 8- मुनि कान्तिसागर, खण्डरों का वैभव पृ० 82 । 9- जे-236 कंकाली टीला मथुरा। 10- स्मिथ, बी. ए. 'जैन स्तूप एण्ड अदर एन्टीक्वटीज एट मथुरा ।
मक्तक
मुसीबत में मित्र और मेजबान बदल जाते हैं, खाना बदल जाता है खानदान बदल जाते हैं, बात इतने पर भी खतम नहीं होती काकाभाई बन्द ही क्या भगवान बदल जाते हैं,
- काका बुन्देलखण्डी
महावीर जयन्ती स्मारिका 78 .
2-29.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org