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महावीर जयन्ती समारोह 1977
महावीरजयनी समा हा
लाहिरहा
जागिर पर पदार्थ दुख का कारण नहीं,किन्तु
र पदार्य में आत्मबुद्धि दुरख कारण है। आत्मा में आत्मबुद्धि नाही सुख है।
नकी प्राप्तिसंभव है
मंच पर कार्यकारिणी के सदस्य तथा
विशिष्ट अतिथिगण बैठे हैं।
साध्वीश्री मणिप्रभाजी सभा को
सम्बोधित करते हुए
मुनिश्री रूपचन्दजी सभा में प्रवचन
करते हुए
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